World Photography Day: जब बाघ की तस्वीर खींचना था सपने जैसा.. तब जानें कैसे जंगल के राजा ने ही ली थी सेल्फी
जंगल में एक सदी पहले बाघ की तस्वीर खींचना जब सपने सरीखा था तब एक वन अधिकारी ने जंगल के राजा से ही उसकी तस्वीर खिंचवाने में कामयाबी हासिल की थी। उन्होंने बाघ के मूवमेंट वाले इलाके में कैमरे को वायर से ऐसे जोड़ा कि बाघ के वायर पर पैर रखते ही उसकी तस्वीर खिंच गई।
फ्लैश की तरह रोशनी का भी इंतजाम किया गया था। फ्रेडरिक वाल्टर चैंपियन की इस तकनीक के जरिये खीचीं गई जंगल की तस्वीरों के जरिये वन्यजीवों के संरक्षण और अध्ययन का रास्ता साफ हुआ। सेना में सेवा दे चुके फ्रैडरिक वाल्टर चैंपियन फॉरेस्ट सर्विस में आए। वह हल्द्वानी वन प्रभाग और कालागढ़ वन प्रभाग के डीएफओ भी रहे।
ट्रिप वायर तकनीक का किया था इस्तेमाल
वन अनुसंधान के उप वन संरक्षक कुंदन कुमार बताते हैं कि 1920 से 1930 के बीच चैंपियन ने ट्रिप वायर तकनीक का इस्तेमाल किया और पहली बार वासस्थल पर बाघ का फोटो लेने में कामयाब हुए थे। उन्होंने ट्रिप वायर तकनीक मौजूदा कैमरा ट्रैप (सेंसर बैटरी और मेमोरी कार्ड शामिल) की तरह है, इसमें इंसानी उपस्थिति के बगैर फोटो खींच जाती है। इस तकनीकी से वाल्टर ने कई फोटो खींची। यह पहली बार था जब बाघ की फोटो उसके वासस्थल पर खींची गई।
इसके साथ ही यह बात भी सामने आई कि हर बाघ पर अलग-अलग विशिष्ट धारी होती है जिससे आगे अध्ययन के लिए रास्ता साफ हुआ था। इस तकनीक से बाघ के अलावा तेंदुआ, स्लोथ बियर, पैंगोलिन समेत अन्य वन्यजंतुओं की तस्वीर भी कैप्चर हुईं। वनाधिकारियों के अनुसार उस दौर में कालागढ़ वन प्रभाग के रेस्ट हाउस में फोटो तैयार करने के लिए एक लैब होने की बात भी कही जाती है।