Himalaya Day 2023: हिमालय क्षेत्र की सेहत बिगाड़ रहा प्लास्टिक का कचरा, सरकार और कोर्ट की सख्ती का असर नहीं
पहाड़ों पर इसी गति से प्लास्टिक कचरा बढ़ता रहा तो इससे संवेदनशील हिमालयी क्षेत्र के पर्यावरण, जंगल और पानी के स्रोतों पर संकट और गहरा जाएगा। प्रसिद्ध पर्यावरणविद चंडी प्रसाद भट्ट का कहना है कि बड़े पैमाने पर प्लास्टिक हिमालय की तलहटी में पहुंच रहा जो बड़ी चिंता का विषय है।
हिमालयी क्षेत्र की तलहटी तक पहुंच चुका प्लास्टिक का कचरा बहुत तेजी से इसकी सेहत को बिगाड़ रहा है। उत्तराखंड में आम लोगों के अलावा धार्मिक तीर्थाटन, पर्यटक और शौकिया ट्रैकर प्रतिवर्ष हजारों टन कचरा हिमालय क्षेत्र में छोड़कर जा रहे हैं। सरकार और अदालतों के सख्त रुख के बावजूद शहरों से लेकर उच्च हिमालयी क्षेत्रों तक प्लास्टिक के अंबार कम नहीं हो रहे हैं।
आने वाले दिनों में यह समस्या और विकराल रूप ले सकती है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक सर्वे के मुताबिक, देश के 60 बड़े शहरों में हुए सर्वे में यह बात सामने आई है कि पूरे देश में प्रतिदिन 25 हजार 940 टन प्लास्टिक कचरा निकलता है। सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, देश में हर साल प्रति व्यक्ति 9.7 किग्रा प्लास्टिक का इस्तेमाल करता है, जो बाद में कचरे के रूप में तब्दील होता है।
उत्तराखंड में रोजाना खतरनाक प्लास्टिक कचरे की मात्रा बढ़ती जा रही है। वर्ष 2041 तक यह करीब 457.63 टन प्रतिदिन के खतरनाक स्तर पर पहुंच जाएगा। पिछले दिनों उत्तराखंड पर्यावरण और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) के सर्वे में सामने आई यह तस्वीर चौंकाने वाली आई है। पहाड़ों पर इसी गति से प्लास्टिक कचरा बढ़ता रहा तो इससे संवेदनशील हिमालयी क्षेत्र के पर्यावरण, जंगल और पानी के स्रोतों पर संकट और गहरा जाएगा।