December 9, 2024

PM Modi Pithoragarh Visit: कैलाश मानसरोवर का पुराना यात्रा मार्ग शुरू होने की जगी आस, बापू से जुड़ा है इतिहास

नीति और मलारीघाटी के लोग घाटी से मानसरोवर यात्रा शुरू करने और सीमा दर्शन की मांग को लेकर गत वर्ष प्रधानमंत्री को माणा गांव के दौरे के दौरान ज्ञापन सौंप चुके हैं, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।

PM Modi Pithoragarh Visit hope of resuming the old travel route of Kailash Mansarovar yatra Uttarakhand news

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिथौरागढ़ के गुंजी गांव के दौरे से गढ़वाल मंडल के सीमांत क्षेत्र के लोगों में कैलाश मानसरोवर के प्राचीन मार्ग के आबाद होने की आस जगी है। उन्हें उम्मीद है कि अब उनकी छह दशक पुरानी मांग सुनी जाएगी।

उल्लेखनीय है कि नीति और मलारीघाटी के लोग घाटी से मानसरोवर यात्रा शुरू करने और सीमा दर्शन की मांग को लेकर गत वर्ष प्रधानमंत्री को माणा गांव के दौरे के दौरान ज्ञापन सौंप चुके हैं, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। 

बदरीनाथ से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है माणा गांव जो कभी देश के अंतिम गांव के रूप में जाना जाता था। अब वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत पहले गांव के रूप में पहचान बना रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू करने के साथ ही सीमा दर्शन की अनुमति दी जाती है तो इससे सही मायनों में क्षेत्र के लोग आर्थिक रूप से पहली पंक्ति में शामिल हो जाएंगे।

माणा गांव धार्मिक, आध्यात्मिक पर्यटन एवं सामाजिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है, इसके बावजूद गांव में सुविधाओं का अभाव है। 1962 में भारत चीन युद्ध के बाद माणा व नीति घाटी के लोगों का तिब्बत से व्यापारिक संबंध समाप्त हो गया और कैलाश मानसरोवर यात्रा भी इन मार्गों से पूर्ण रूप से बंद हो गई। तब से घाटियों के लोग लगातार सरकारों से कैलाश मानसरोवर की यात्रा के पुराने मार्ग को दोबारा शुरू करने की मांग कर रहे हैं।

गांव प्रधान पीतांबर का कहना है कि उनका गांव देश के पहले गांव के रूप में पहचान बना रहा है। यह हमारे लिए गर्व की बात है, लेकिन गांव से कैलाश मानसरोवर यात्रा के पुराने रास्ते को दोबारा शुरू किया जाए तो यहां पर्यटन के साथ लोगों की आर्थिकी भी मजबूत होगी। इसके अलावा यह सबसे कम समय में सहज और सरल होगी। यात्रा और सीमा दर्शन शुरू करने की मांग वे लंबे समय से कर रहे हैं। इस संबंध में प्रधानमंत्री को माणा दौरे के दौरान ज्ञापन भी दिया गया था। अब घाटी के लोगों को दशकों पुरानी मांग पूरी होने की उम्मीद है।

गांव की मधु बिष्ट का कहना है कि माणा से यात्रा शुरू होने से युवाओं के रोजगार के द्वार खुलेंगे। युवाओं को नौकरी के लिए बाहरी राज्यों की ओर रुख नहीं करना पड़ेगा। जी-20 सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपा गया, लेकिन अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।

 

भारत चीन युद्ध के बाद हो गई थी यात्रा बंद

नीतिघाटी मार्ग से वर्ष 1954 तक कैलाश मानसरोवर यात्रा की जाती रही है, लेकिन 1962 में भारत चीन युद्ध के बाद यहां के व्यापारियों का न केवल व्यापारिक संबंध समाप्त हुआ बल्कि मानसरोवर यात्रा भी बंद हो गई। 1981 से भारतीय विदेश मंत्रालय व चीन सरकार के सहयोग से कुमाऊं मंडल विकास निगम यात्रा को संचालित करता है। यात्रा लिपुलेख दर्रे से होकर जाती है। इस ट्रैक की कुल दूरी दिल्ली से करीब 835 किमी है जिसे 32 दिनों में पूरा किया जाता है।

चमोली के नीति-माणा घाटी से मानसरोवर की दूरी कम

चमोली जिले की नीति-माणा घाटी से मानसरोवर की यात्रा दो मार्गों से की जाती है। पहला नीति से ग्यालढांग होते हुए। इसमें करीब 10 पड़ाव हैं। नीति से कैलाश परिक्रमा पथ की दूरी करीब 110 किमी है। दूसरा मार्ग नीति से सुमना-रिमखिम-शिवचिलम होते हुए है जिसकी दूरी करीब 100 किमी है। माणापास से तोथिला से थैलिंगमठ होते हुए मानसरोवर जाया जा सकता है।इसी मार्ग से मानसरोवर गए थे बापू के अवशेष

1948 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मृत्यु के बाद उनके अवशेषों को देश के विभिन्न हिस्सों में ले जाने के लिए 12 कलशों में रखा गया था। इन्हीं में से एक कलश नीतिघाटी के रास्ते ही मानसरोवर में विसर्जित किया गया था।