शिक्षा विभाग नियम बदलता रहा और शिक्षकों की भर्ती उलझती चली गई। यही वजह है कि वर्ष 2020 में 2,600 पदों के लिए शुरू हुई भर्ती तीन साल बाद भी पूरी न होकर एक बार फिर कानूनी दांव पेच में फंस गई है।
शिक्षा निदेशक रामकृष्ण उनियाल के मुताबिक, हाईकोर्ट के फैसले से स्नातक में 50 प्रतिशत से कम अंक वाले भर्ती हो चुके शिक्षकों की सेवाएं समाप्त होंगी। वहीं, इस दायरे में आ रहे अभ्यर्थी शिक्षक के पद पर अब भर्ती नहीं हो पाएंगे। प्रकरण को शासन को भेज दिया गया है। जिस पर शासन स्तर से निर्णय लिया जाना है।
प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों के 3,645 से अधिक पद खाली हैं। कई स्कूल एकल शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। शिक्षकों के खाली पदों को भरा जा सके, इसके लिए विभाग की ओर से वर्ष 2020 एवं 2021 में सहायक अध्यापक के 2600 पदों के लिए आवेदन मांगे गए थे।
डीएलएड अभ्यर्थियों ने शिक्षक भर्ती के लिए किया आवेदन
राज्य के लगभग 40 हजार से अधिक अभ्यर्थियों ने भर्ती के लिए आवेदन किया था, लेकिन शिक्षा विभाग समय-समय पर विभिन्न आदेशों के माध्यम से शुरू से ही शिक्षकों की भर्ती को उलझाता चला आ रहा है। पहला मामला 15 जनवरी 2021 का है। जब शासन ने आदेश जारी किया था कि एनआईओएस से डीएलएड अभ्यर्थियों को भी शिक्षक भर्ती में शामिल किया जाए।
इस शासनादेश के बाद एनआईओएस से डीएलएड अभ्यर्थियों ने शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन किया। इन अभ्यर्थियों के आवेदन करने के बाद शासन ने 10 फरवरी 2021 को एक अन्य आदेश जारी कर अपने 15 जनवरी 2021 के आदेश को रद्द कर दिया। शासन के इस आदेश से नाराज एनआईओएस से डीएलएड अभ्यर्थी इसके खिलाफ हाईकोर्ट चले गए। 14 सितंबर 2022 को हाईकोर्ट ने इन अभ्यर्थियों को शिक्षक भर्ती में शामिल करने का आदेश किया। इसके खिलाफ पहले बीएड अभ्यर्थी और फिर सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई।