November 9, 2024

Uttarakhand: दोबारा खुलेगी पांच साल में हुए अंतरधार्मिक विवादों की फाइल, पुलिस मुख्यालय ने मांगा ब्योरा

देखा जाएगा कि इन केसों में कहीं धर्म परिवर्तन कराने की बात तो नहीं है। ऐसा हुआ तो धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत भी कार्रवाई होगी।

Uttarakhand  police headquarters asked for details of inter religious disputes case in five years
उत्तराखंड में धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम लागू होने के बाद से अब तक हुए सभी अंतरधार्मिक विवादों की फाइल फिर से खुलने जा रही है। ये सभी मामले युवतियों और किशोरियों के अपहरण से संबंधित हैं।

देखा जाएगा कि इनमें कहीं धर्म परिवर्तन कराने की बात तो नहीं है। ऐसा हुआ तो धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत भी कार्रवाई होगी। पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों के पुलिस कप्तानों को पत्र जारी कर ऐसे मुकदमों और लिखित शिकायतों का ब्योरा मांगा है।

प्रदेश में धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम वर्ष 2018 में लागू हुआ था। इसके तहत यदि कोई किसी का धर्म परिवर्तन कराना चाहता है तो उसे एक माह पहले संबंधित जिले के मजिस्ट्रेट के यहां आवेदन करना होता है। इसके बाद जांच होती है और कोई विवाद न हुआ तो अनुमति दी जाती है।

इस अधिनियम में जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर कम सजा का प्रावधान था। लेकिन, वर्ष 2022 में अधिनियम में संशोधन कर 50 हजार रुपये जुर्माना और 10 साल तक की सजा का प्रावधान कर दिया गया। ऐसे में अब जो मामले सामने आ रहे हैं उनमें संशोधित अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा रही है। 

वहीं, अब उन मामलों की फाइल भी खोली जा रही है जिनमें दूसरे धर्म की लड़की के अपहरण का मुकदमा दर्ज किया गया है। लेकिन, इसकी जांच नहीं की गई कि इनमें धर्म परिवर्तन कराया गया या दबाव डाला गया। करा भी दिया गया तो अनुमति ली गई या नहीं। फाइल खुलने के बाद जांच होगी और फिर इनके खिलाफ संशोधित अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि नाबालिग के अपहरण के मुकदमे में आरोपी जेल चले जाते हैं। मगर, युवतियों के अपहरण में रजामंदी को आधार बनाकर शादियां तक हो जाती हैं। ऐसे में माना यह भी जा रहा है कि इसकी जद में कुछ शादियां भी आ सकती हैं।

अब तक दर्ज हुए 18 मुकदमे
वर्ष 2018 के बाद से अब तक पूरे प्रदेश में 18 मुकदमे धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत दर्ज हुए हैं। इनमें से 11 मामलों में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। जबकि, एक एफआईआर बंद की जा चुकी है। एक मामले में फाइनल रिपोर्ट लगी है और पांच की विवेचना चल रही है। सबसे ज्यादा सात मुकदमे देहरादून में दर्ज किए गए हैं। दूसरे नंबर पर हरिद्वार में छह, तीसरे पर नैनीताल में तीन और उत्तरकाशी, टिहरी गढ़वाल में एक-एक मुकदमा दर्ज किया गया है।

हम उन सभी मामलों को दिखवा रहे हैं जिनमें युवतियों के अपहरण के मुकदमे दर्ज हुए हैं। या फिर इस तरह के विवाद सामने आए हैं। इनमें धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम का उल्लंघन तो नहीं किया गया है। यदि उल्लंघन हुआ होगा तो दोबारा जांच कर कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी।
– डॉ. वी मुरुगेशन, एडीजी, लॉ एंड ऑर्डर