November 21, 2025

उत्तराखंड: बिजली खपत का पांच साल का रिकॉर्ड टूटा, गर्मी बढ़ने के साथ ही बढ़ा संकट, यह दो प्रमुख वजह

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प्रदेश में इस साल सबसे ज्यादा बिजली संकट देखने को मिल रहा है। इसकी दो प्रमुख वजह बताई जा रही हैं। इस साल मार्च महीने में औसत डिमांड सर्वाधिक 37.944 मिलियन यूनिट और उपलब्धता 28.680 मिलियन यूनिट रिकॉर्ड हुई।

बिजली संकट (प्रतीकात्मक)

प्रदेश में बिजली खपत का इस साल नया रिकॉर्ड बन गया है। मार्च और अप्रैल माह में हो रही गर्मी के चलते इस साल मार्च और एक से दस अप्रैल के बीच रिकॉर्ड बिजली की डिमांड आई है। गर्मी बढ़ने के साथ ही ऊर्जा निगम की मुसीबत भी बढ़ती जा रही है। रोजाना यूपीसीएल को 12 से 15 करोड़ रुपये की बिजली खरीदनी पड़ रही है।

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प्रदेश में इस साल सबसे ज्यादा बिजली संकट देखने को मिल रहा है। इसकी दो प्रमुख वजह बताई जा रही हैं। पहली वजह तो यह है कि पिछले पांच साल में इस साल मार्च व अप्रैल माह में सर्वाधिक बिजली की डिमांड रिकॉर्ड हुई है। दूसरी वजह यह बताई जा रही है कि गैस व कोयला आधारित प्लांट बंद होने की वजह से बाजार में बिजली की किल्लत हो गई है। नेशनल एक्सचेंज में 12 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली बिक रही है। बावजूद इसके उत्तराखंड सहित सभी राज्यों को पूरी बिजली नहीं मिल पा रही है।

पांच साल में 1-10 अप्रैल के बीच बिजली की डिमांड, उपलब्धता
वर्ष-             औसत डिमांड-             उपलब्ध बिजली
2018- 32-34 मिलियन यूनिट       19-28 मिलियन यूनिट
2019- 33-37 मिलियन यूनिट       36-38 मिलियन यूनिट
2020- 17-19 मिलियन यूनिट        21-25 मिलियन यूनिट
2021- 32-38 मिलियन यूनिट      18-26 मिलियन यूनिट
2022- 39-42 मिलियन यूनिट       29-31 मिलियन यूनिट

मार्च के महीने में भी बना बिजली मांग का रिकॉर्ड

न केवल अप्रैल बल्कि मार्च महीने में भी पिछले पांच साल का सर्वाधिक डिमांड का रिकॉर्ड बना है। वर्ष 2018 में मार्च महीने में औसत डिमांड 34.725 मिलियन यूनिट और उपलब्धता 20.131 मिलियन यूनिट थी। 2019 में डिमांड 34.424 और उपलब्धता 27.864 मिलियन यूनिट हो गई। 2020 में डिमांड 27.718 और उपलब्धता भी 27.212 मिलियन यूनिट रही। 2021 में डिमांड 36.646 और उपलब्धता 27.406 मिलियन यूनिट हो गई। इस साल मार्च महीने में औसत डिमांड सर्वाधिक 37.944 मिलियन यूनिट और उपलब्धता 28.680 मिलियन यूनिट रिकॉर्ड हुई।
कोरोना लॉकडाउन के बाद निर्माण कार्यों में तेजी के साथ ही उद्योगों में भी काम बढ़ा है। डिमांड काफी बढ़ गई है। उद्योगों, कॉमर्शियल या आम उपभोक्ताओं को दी जा रही बिजली बाजार से दो से चार गुना महंगी खरीदनी पड़ रही है। इससे निगम में बजट की भी किल्लत होनी शुरू हो गई है क्योंकि नेशनल एक्सचेंज में बिजली खरीदने के लिए पैसा आरटीजीएस के माध्यम से रोजाना भेजना पड़ता है। -अनिल कुमार, एमडी, यूपीसीएल

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