राजधानी से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बांदल वैली में क्षतिग्रस्त पुल आठ साल से निर्माण की बाट जोह रहा है। यह पुल पुनर्निर्माण के लिए देहरादून और टिहरी जिले की सरकारी मशीनरी की उपेक्षा के बीच झूल रहा है। इससे स्थानीय लोगों में तंत्र के प्रति आक्रोश है। लोगों का कहना है कि अब किससे गुहार लगाए, यह उनकी समझ में नहीं आ रहा है।
टिहरी जिले की हजारों की आबादी को राजधानी देहरादून से जोड़ने वाला सरखेत के समीप स्थित बांदल नदी पर बना यह पुल वर्ष 2014 की आपदा में क्षतिग्रस्त हो गया था। तब से लोग इसके पुनर्निर्माण की मांग कर रहे हैं। स्थानीय निवासी मसूरी विधायक गणेश जोशी से लेकर टिहरी जिले के धनोल्टी विधायक प्रीतम पंवार तक से गुहार लगा चुके हैं। साथ ही दोनों जिलों के अधिकारियों के सामने भी कई बार इस समस्या को रख चुके हैं। इसके बावजूद पुल की स्थिति जस की तस है। पूर्व प्रधान राजेंद्र सिंह पंवार ने बताया कि पुल पूरी तरह जर्जर है। जिससे इस पर वाहनों की आवाजाही भी नहीं हो पाती है। ऐसे में राशन, निर्माण सामग्री और दूसरे विभिन्न जरूरी सामानों को लाने ले जाने के लिए कई दूर स्थित लालपुल से आवाजाही करनी पड़ती है। इससे समय और पैसे दोनों अतिरिक्त लगते हैं।
बरसात में बढ़ जाता है खतरा
पूर्व प्रधान राजेंद्र सिंह पंवार ने बताया कि बरसात में बांदल नदी पूरे उफान पर आ जाती है। इससे पुल पर पैदल आवाजाही भी खतरनाक हो जाती है। कई बार यहां दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं।
यह प्रकरण संज्ञान में नहीं है। अगर ऐसा है तो इसे दिखाया जाएगा। जल्द ही देहरादून और टिहरी जिले के अधीक्षण अभियंताओं से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी जाएगी। इसके अलावा शीघ्र ही पुल की डीपीआर तैयार कर इसका पुनर्निर्माण कराने का प्रयास किया जाएगा।
– एजाज अहमद, प्रमुख अभियंता, लोक निर्माण विभाग