यात्री कम होने पर परिवहन निगम बसों का संचालन निरस्त होना, यात्रियों के साथ धोखा

उत्तराखंड परिवहन निगम की ओर से आईएसबीटी से नई दिल्ली के लिए संचालित वातानुकूलित बसों में यात्रियों की संख्या कम होने पर बसों का निरस्त होना या उनके संचालन के शेड्यूल में परिवर्तन होना आम बात हो गई है, जिससे यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। संचालन निरस्त होने या फिर शेड्यूल में बदलाव से यात्रियों को या तो यात्रा निरस्त करनी पड़ती है या फिर उन्हें लंबे इंतजार के बाद दूसरी गाड़ियों से गंतव्यों को पहुंचना पड़ रहा है। शहरियों से जानने की कोशिश की गई तो ज्यादातर लोगों ने यात्रियों के साथ धोखा करार दिया…
टिकट लेने के बाद अफसरों की जिम्मेदारी बनती है कि यात्री को गंतव्य तक यात्रा सुनिश्चित करें। संचालन निरस्त या शेड्यूल में बदलाव धोखा है। परिवहन निगम को बदलाव लाना चाहिए। यात्री अपने शेड्यूल के हिसाब से सफर करते हैं, यदि बसों का संचालन निरस्त होता है या शेड्यूल में बदलाव तो परेशानियां होती हैं, जो सरासर गलत है।- स्वयं टंडन, इंदिरानगर
बस अड़ों पर पहुंचने के बाद ऐन मौके पर यात्री कम होने पर बसों का संचालन निरस्त होना या शेड्यूल में बदलाव सरासर गलत है। यात्रियों को समय पर यात्रा कराकर उसे समय पर गंतव्य पर पहुंचाना परिवहन निगम प्रबंधन की जिम्मेदारी है। इस संबंध में परिवहन निगम प्रबंधन के बड़े अफसरों को उचित कदम उठाना चाहिए।
-शिवशंकर कुशवाहा, सरस्वती विहार
कोई भी यात्री अपनी यात्रा के लिए जिम्मेदार है तो उसे समय पर गंतव्य पर पहुंचाना परिवहन निगम प्रबंधन की जिम्मेदारी है। यह तर्क देकर गाड़ियों का संचालन निरस्त करने के साथ ही शेड्यूल में बदलाव नहीं कर सकते की यात्रियों की संख्या कम है। यदि एक या दो यात्री भी हैं, तो उन्हें यात्रा कराना प्रबंधन की जिम्मेदारी है। -सुभाष झा, पंडितबाड़ी
गाड़ियों में यात्रियों की भीड़ जुटाना उनकी जिम्मेदारी है, न कि यात्रियों की। यदि गाड़ी में एक भी यात्री है तो उसे यात्रा कराना प्रबंधन की जिम्मेदारी बनती है। यात्री कम होने का हवाला देकर गाड़ियों का संचालन निरस्त करना या उनके शेड्यूल में बदलाव धोखा है। इस पर रोक लगनी चाहिए। -हेमा डोबरियाल
