November 21, 2025

Uttarakhand: प्रदेश की एक-एक इंच भूमि का हिसाब जुटाएगी सरकार, पूरे राज्य का जीआईए मैप किया जाएगा तैयार

उत्तराखंड राजस्व परिषद को नोडल एजेंसी बनाया गया है, जो डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड मॉर्डनाइजेशन प्रोग्राम (डीआईएलआरएमपी) के तहत राजस्व अभिलेखों में दर्ज भूमि का सर्वेक्षण करेगी। इसके साथ ही सभी सरकारी विभागों की भूमि का ब्योरा भी जुटाया जाएगा।
Land Jihad Dhami Government will collect account of every inch of Uttarakhand land GIA map will be prepared
लैंड जिहाद के मुद्दे पर ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू कर चुकी धामी सरकार अब प्रदेश की एक-एक इंच जमीन का हिसाब जुटाएगी। इसके लिए पहली बार आधुनिक तकनीक का सहारा लेते हुए प्रदेश की संपूर्ण भूमि का सर्वेक्षण किया जाएगा। इसके बाद पूरे प्रदेश का जीआईएस (भौगोलिक सूचना प्रणाली) से नक्शा तैयार किया जाएगा।

सरकार की ओर से इसके लिए 150 करोड़ रुपये के बजट की व्यवस्था की गई है। उत्तराखंड राजस्व परिषद को इस काम के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है। प्रदेश में राज्य गठन के बाद से इस बात की जरूरत महसूस की जा रही थी कि संपूर्ण भूमि का डाटा इकट्ठा कर लिया जाए, लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी यह काम आगे नहीं बढ़ पाया।

प्रदेश का अधिकांश भूभाग (नौ जिले) पर्वतीय होने के कारण तमाम जमीनें गोल खातों के विवाद में उलझी हैं। सरकार कई विकास योजनाओं को भूमि की अनुपलब्धता के कारण शुरू नहीं कर पा रही है। वहीं, कई विभागों के पास अपनी ही उपलब्ध भूमि का रिकॉर्ड मौजूद नहीं है। 

राजस्व अभिलेखों में दर्ज भूमि का होगा सर्वेक्षण
इन सब समस्याओं से पार पाने के लिए सरकार ने अब संपूर्ण भूमि का सर्वे कराने का निर्णय लिया है। इसके लिए मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु की अध्यक्षता में शासी निकाय का गठन किया गया है, जिसमें तमाम विभाग के अपने मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव व विभागाध्यक्षों को विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया है।

उत्तराखंड राजस्व परिषद को नोडल एजेंसी बनाया गया है, जो डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड मॉर्डनाइजेशन प्रोग्राम (डीआईएलआरएमपी) के तहत राजस्व अभिलेखों में दर्ज भूमि का सर्वेक्षण करेगी। इसके साथ ही सभी सरकारी विभागों की भूमि का ब्योरा भी जुटाया जाएगा।

दो साल में पूरा होगा सर्वेक्षण का काम
डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड मॉर्डनाइजेशन प्रोग्राम के तहत प्रदेश की संपूर्ण भूमि के सर्वेक्षण का काम करीब दो साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। मुख्य सचिव की ओर से आदेश निर्गत होने के बाद अब आरएफटी टेंडरिंग की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। सर्वे का काम एरियल लिडार (लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग) तकनीक से किया जाएगा। यह सर्वे की एरियल मैपिंग तकनीक है, जो धरती की सतह से कैलिब्रेटेड लेजर रिटर्न का उपयोग करती है और ऑन-बोर्ड पोजिशनल और आईएमयू सेंसर से लैस जीपीएस-निगरानी वाले विमान के माध्यम से पूरी की जाती है।

30 करोड़ रुपये पहली किस्त के रूप में जारी

सरकार की ओर से सर्वेक्षण के काम के लिए 150 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। पहली किस्त के रूप में करीब 30 करोड़ रुपये शासन की ओर से जारी कर दिए गए हैं।

भूमि विवाद के मसले सुलझेंगे, प्लानिंग में होगी आसानी

प्रदेश में संपूर्ण भूमि का सर्वे होने और जीआईएस मैप तैयार हो जाने के बाद भूमि विवाद से संबंधी मसलों को हल करने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही प्लानिंग के स्तर पर सरकार को निर्णय लेने में आसानी होगी। हर भूमि का भू आधार नंबर (यूएलआईपीएन) तैयार होगा।

प्रदेश में संपूर्ण भूमि के सर्वेक्षण के काम के लिए शीघ्र ही टेंडरिंग की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। दो साल के भीतर इस काम को पूरा कर लिया जाएगा। इससे राज्य सरकार के साथ ही आम लोगों को भी फायदा होगा। – चंद्रेश यादव, आयुक्त एवं सचिव, उत्तराखंड राजस्व परिषद