चमोली में एसटीपी संचालन में लापरवाही का पुलिंदा अभी खुलना बाकी है। पुलिस एसटीपी संचालन के लिए विभाग और कंपनी के बीच हुए करार की गहराई से जांच कर रही है। इसमें प्लांट संचालन के लिए करीब 1000 पन्नों में नियम-शर्तें लिखी हैं। पुलिस जब इन पन्नों को पलट रही है तो हर तीसरे पेज पर एक नई लापरवाही मिल रही है।
मानकों के मुताबिक प्लांट के संचालन और देखरेख के लिए टेक्निकल बैकग्राउंड के कर्मचारियों को भर्ती किया जाना था, लेकिन कंपनी ने पैसा बचाने के चक्कर में 10वीं और 12वीं पास लोगों को काम पर रखा था। यह बात तो प्राथमिक जांच में सामने आई हैं। अभी नियम-शर्तों के बाकी पन्ने पलटे जाएंगे तो अधिकारियों पर दाग और भी गहरे होते जाएंगे।
पुलिस ने हादसे की प्राथमिक जांच के आधार पर अभी तक चार लोगों को गिरफ्तार किया है। इनकी कई स्तरों पर लापरवाही सामने आई हैं। लापरवाही भी सिर्फ सुरक्षा-मानकों की अनदेखी की ही नहीं है। प्लांट के संचालन और सुपुर्दगी के स्तर से ही लापरवाही शुरू हो गई थी। कर्मचारियों को रखने, प्लांट का संचालन, सुरक्षा उपकरण और उपाय आदि के बारे में कंपनी और विभाग के बीच करार हुए थे।
कंपनी को जब इस प्लांट का संचालन सौंपा गया तो उन्हें सैकड़ों नियम-शर्ताें की जानकारी भी लिखित में दी गई थी। ये नियम शर्तें करीब 1000 पन्नों पर लिखी हैं। जांच के दौरान पुलिस ने जब इन पन्नों को पलटा गया तो सबसे पहले यहां भर्ती हुए लोगों की पोल खुलने लगी। यहां पर टेक्निकल बैक ग्राउंड वाले ऐसे लोगों की भर्ती की जानी थी जो तकनीकी काम में दक्ष हों, लेकिन जब यहां के कर्मचारियों की जानकारी जुटाई गई तो पता चला कि कोई 10वीं पास है तो किसी को 12वीं के बाद भर्ती कर लिया गया।
मामूली ट्रेनिंग देने के बाद कंपनी ने इन्हें काम सौंप दिया। अब जब और पन्ने पढ़े जाएंगे तो कुछ बड़ी लापरवाही भी सामने आने की उम्मीद है। प्लांट पर जिन सुरक्षा मानकों का पालन करना था उनकी पोल पहले ही खुल चुकी है।
वहीं, पुलिस इस मामले में अपराध को साबित करने के लिए लापरवाही ढूंढ रही है। शुरुआती जांच में पुलिस को इसमें सफलता भी मिली है। लेकिन, अहम भूमिका विद्युत सुरक्षा विभाग की रिपोर्ट ही निभाएगी। विभाग प्लांट पर हुई लापरवाही और सुरक्षा मानकों की चूक की जांच कर रहा है। ऐसे में जब यह रिपोर्ट आएगी तो इन सभी आरोपियों के खिलाफ और भी पुख्ता साक्ष्य अदालत में रखे जा सकते हैं।