December 9, 2024

जोशीमठ: रहस्यों से उठने लगा पर्दा…जमीन के भीतर पानी रिसने से चट्टानों का खिसकना बना भूधंसाव का कारण

वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान की रिपोर्ट में कहा गया कि जोशीमठ की मिट्टी का ढांचा बोल्डर, बजरी और मिट्टी का एक जटिल मिश्रण है। यहां बोल्डर भी ग्लेशियर से लाई गई बजरी और मिट्टी से बने हैं, इनमें ज्वाइंट प्लेन हैं, जो इनके खिसकने का एक बड़ा कारण हैं।

Joshimath landslide Slipping of rocks due to seepage of water underground became the cause of landslide

सरकार की ओर से वैज्ञानिक संस्थाओं की रिपोर्ट सार्वजनिक किए जाने के साथ ही जोशीमठ भूधंसाव के रहस्यों से पर्दा उठने लगा है। रिपोर्ट में मोरेन क्षेत्र (ग्लेशियर की ओर से लाई गई मिट्टी) में बसे जोशीमठ की जमीन के भीतर पानी के रिसाव के कारण चट्टानों के खिसकने की बात सामने आई है। जिसके कारण वहां भूधंसाव हो रहा है।

जोशीमठ हिमालयी इलाके में जिस ऊंचाई पर बसा है, उसे पैरा ग्लेशियल जोन कहा जाता है। इसका मतलब है कि इन जगहों पर कभी ग्लेशियर थे, लेकिन बाद में ग्लेशियर पिघल गए और उनका मलबा बाकी रह गया। इससे बना पहाड़ मोरेन कहलाता है। इसी मोरेन के ऊपर जोशीमठ बसा है।

बोल्डर धंस रहे
वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान की रिपोर्ट में इस बात का प्रमुखता से जिक्र किया गया है कि जोशीमठ की मिट्टी का ढांचा बोल्डर, बजरी और मिट्टी का एक जटिल मिश्रण है। यहां बोल्डर भी ग्लेशियर से लाई गई बजरी और मिट्टी से बने हैं, इनमें ज्वाइंट प्लेन हैं, जो इनके खिसकने का एक बड़ा कारण हैं। रिपोर्ट के अनुसार, ऐसी मिट्टी में आंतरिक क्षरण के कारण संपूर्ण संरचना में अस्थिरता आ जाती है। इसके बाद पुन: समायोजन होता है, जिसके परिणामस्वरूप बोल्डर धंस रहे हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि धंसाव का मुख्य कारण आंतरिक क्षरण ही प्रतीत होता है। यहां जोशीमठ के विस्तार के साथ ही ऊपर से बहने वाले प्राकृतिक नाले का बहाव बाधित हुआ है। नाले का पानी लगातार जमीन के भीतर रिस रहा है। बीते 10 वर्षों मेें हुई अत्यधिक वर्षा ने भी नुकसान के स्तर को बढ़ाया है।

जोशीमठ में 11 भूकंप स्टेशन स्थापित किए गए
रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि यहां नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत अपशिष्ठ जल शोधन संयंत्र लगाया गया है, लेकिन घरों, होटलों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से निकलने वाले पानी को इससे नहीं जोड़ा गया है। संस्थान की ओर से भूधंसाव के कारणों के साथ ही जोशीमठ टाउनशिप प्लानिंग के लिडार मैपिंग के माध्यम से 10 सेमी. परिधि का कंटूर मैप तैयार किया गया है। इसके अलावा जोशीमठ में 11 भूकंप स्टेशन स्थापित किए गए हैं।

एनजीआरआई ने धारण क्षमता और पानी की निकासी को माना कारण

नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनजीआरआई) हैदराबाद को अध्ययन में जोशीमठ में 20 से 50 मीटर गहराई तक में भूधंसाव के प्रमाण मिले हैं। रिपोर्ट के अनुसार वहां सतह पर जो स्थिति नजर आ रही है, कई स्थानों पर 50 मीटर गहराई तक के भूभाग तक पाई गई है। रिपोर्ट में नगर की धारण क्षमता से अधिक भवनों का निर्माण, पानी की निकासी नहीं होना, जंगलों का कटाव, प्राकृतिक जल स्रोतों के रास्तों में रूकावट, भवनों का विस्तार जैसे प्रमुख कारण भूधंसाव के लिए अंकित किए गए हैं।

रिपोर्ट में एनटीपीसी की परियोजना को ‘क्लीन चिट’

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) और राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआईएच) ने जोशीमठ में अध्ययन के बाद अपनी रिपोर्ट में चमोली जिले में अलकनंदा नदी पर एनटीपीसी की 520 मेगावाट विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना को ”क्लीन चिट’ दी है। गत पांच जनवरी को स्थानीय निवासियों के विरोध के बाद राज्य सरकार ने एनटीपीसी परियोजना स्थल पर सभी काम रोक दिए थे।

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जोशीमठ में जेपी कॉलोनी में पानी के तेज बहाव का परियोजना से कोई संबंध नहीं है। रिपोर्ट में पानी के नमूनों के वैज्ञानिक विश्लेषण के बाद दावा किया गया है कि जेपी कॉलोनी में पानी का रिसाव ऊपरी इलाके से संबंध रखता है।

एनटीपीसी की साइट से लिए गए पानी के नमूने जेपी कॉलोनी में निकलने वाले पानी के नमूनों से मेल नहीं खाते हैं। एनआईएच की रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसी संभावना हो सकती है कि किसी उप-सतह चैनल के अवरोध के कारण जमीन के भीतर पानी का अस्थायी भंडारण बन गया हो, जो अंततः फट गया। हालांकि अभी रिपोर्ट का व्यापक स्तर पर अध्ययन किया जा रहा है।