October 6, 2025

देवभूमि में पीएम मोदी का शंखनाद: दूर तक और देर तक सुनी जाएगी गूंज, प्रधानमंत्री ने दिया ये खास संदेश

बतौर प्रधानमंत्री देश की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत के पुनर्निर्माण पर लगातार बल देकर उभरी जातिगत राजनीति से सनातन को होने वाले नुकसान का संदेश भी इस यात्रा में छिपा दिखा।

PM Narendra Modi Uttarakhand Pithoragarh Visit Special Message by Spiritual Yatra

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हर उत्तराखंड यात्रा को गौर से देखें तो राजनीतिक और प्रशासनिक न होकर एक आध्यात्मिक यात्रा होती है। राजनीतिक सक्रियता और प्रधानमंत्री बनने के पहले से उनका उत्तराखंड से आध्यात्मिक जुड़ाव जगजाहिर है।

यही कारण है उत्तराखंड में उनके भाषण में एक प्रधानमंत्री और भाजपा के शीर्ष नेता से अधिक आध्यात्मिक पहलू कहीं अधिक उभरकर दिखता है। बतौर प्रधानमंत्री देश की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत के पुनर्निर्माण पर लगातार बल देकर उभरी जातिगत राजनीति से सनातन को होने वाले नुकसान का संदेश भी इस यात्रा में छिपा दिखा।

PM Narendra Modi Uttarakhand Pithoragarh Visit Special Message by Spiritual Yatra
प्रधानमंत्री ने दिल्ली पहुंच ट्वीट कर अपनी उत्तराखंड यात्रा के मायने-मतलब भी स्पष्ट कर दिए। पीएम ने एक लाइन में लिखा है एक बहुत ही खास उत्तराखंड यात्रा सम्पन्न। एक बार फिर पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड से जो आध्यात्मिक ऊर्जा लेकर लौटे हैं, उस शंखनाद की गूंज दूर तक और देर तक सुनी जाएगी।

प्रधानमंत्री का केदारनाथ की ध्यान गुफा में ध्यानमग्न मुद्रा का चित्र देश के लोगों के मानस पटल में छप सा गया है। सभी दलों के बहुत से राजनेता चारधाम की यात्रा करते हैं, लेकिन उत्तराखंड के आध्यात्मिक कनेक्ट में उनका कोई चित्र उस तरह की छाप नहीं छोड़ सका है। प्रधानमंत्री भी शायद इस यात्रा को बहुत खास बताकर इसे सांस्कृतिक पुनर्निर्माण और आध्यात्मिक शक्ति को जगाने वाला बता रहे हैं। हालांकि इस एक लाइन के बीच राजनीतिक लाइन भी खींची हुई दिखती है। उन्होंने अपनी सरकारों के कामकाज भी गिनाए और चुटीले अंदाज में विपक्ष पर सवाल भी उठाए।

PM Narendra Modi Uttarakhand Pithoragarh Visit Special Message by Spiritual Yatra
पहले प्रधानमंत्री के तौर पर कैलाश पर्वत के समीप पार्वती कुंड पहुंचकर अपने आध्यात्मिक ध्येय को साधने के साथ उन्होंने विपक्ष पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकारों ने इस डर से सीमांत इलाकों का विकास नहीं किया कि कहीं दुश्मन इसका फायदा उठाकर अंदर न आ जाएं। नया भारत पहले की सरकारों की डरी हुई सोच को पीछे छोड़कर आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने इस उपेक्षित क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन का खाका खींचकर इसे भी राज्य के दूसरे हिस्से गढ़वाल के समकक्ष लाने का तानाबाना बुना है।

प्रधानमंत्री ने मानसखंड की बात कहकर पूरे कुमाऊं के धार्मिक पर्यटन और स्थलों को लोगों में बढ़ी आध्यात्मिक अभिरुचि से जोड़ने का प्रयास किया। जिसमें कुमाऊं के सुदूर स्थित मंदिरों की श्रृंखला भी जुड़ गई है। इन्हीं सबके बीच प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार की विकास यात्रा का उल्लेख कर वोटों की ताकत का भी जिक्र किया कि राजकाज चलाने की ऊर्जा भी लोगों से मिल रही है।