October 6, 2025

Dehradun: सांसदों के निलंबन पर कांग्रेस ने किया राजभवन कूच, नेताओं की पुलिस के साथ धक्कामुक्की और तीखी बहस

कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि राजनीतिक प्रतिशोध और द्वेष की भावना से प्रेरित होकर विपक्षी दल के सांसदों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की गई। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि यह भाजपा के फासीवादी एवं तानाशाही चरित्र का द्योतक ही नहीं, स्वस्थ लोकतंत्र के भविष्य के लिए भी उचित नहीं है।

लोकसभा एवं राज्यसभा में संसद की सुरक्षा में हुई चूक के मुद्दे पर बहस के दौरान 143 सांसदों को निलंबित किए जाने के मामले में कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों के नेताओं ने राजभवन कूच किया। इस दौरान कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हाथीबड़कला के पास बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया। यहां धक्कामुक्की के साथ कार्यकर्ताओं की पुलिस से तीखी बहस हुई।

इसके बाद कार्यकर्ता सड़क पर ही धरने पर बैठ गए और प्रदर्शन करने लगे। दोपहर बाद पुलिस प्रदर्शन कर रहे लोगाें को गिरफ्तार कर पुलिस लाइन ले गई, जहां कुछ देर बाद उन्हें छोड़ दिया गया। इस दौरान राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन प्रशासन को सौंपा गया।शुक्रवार सुबह करीब 11 बजे कांग्रेस सहित सपा, सीपीआई और कम्युनिस्ट दलों के कार्यकर्ता कांग्रेस भवन में एकत्रित हुए।

कार्यकर्ताओं ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा के नेतृत्व में राजभवन की ओर कूच किया। इस दौरान माहरा ने कहा कि लोकसभा एवं राज्यसभा में संसद की सुरक्षा में हुई चूक के मसले पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग कर रहे विपक्षी दलों के 143 सांसदों की अलोकतांत्रिक तरीके से निलंबित किया गया है। 

सरकार से संसद की सुरक्षा में हुई चूक
उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस विरोध करते हुए इस कार्रवाई की कड़े शब्दों में निंदा करती है। उन्होंने कहा कि देश की जनता ने सभी विपक्षी दलों के सांसदों को उनके हितों की रक्षा करने की जिम्मेदारी सौंपी है। जब वह सरकार से संसद की सुरक्षा में हुई चूक पर स्पष्टीकरण मांग रहे थे, तब उन्हें निलंबित कर दिया गया।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि यह भाजपा के फासीवादी एवं तानाशाही चरित्र का द्योतक ही नहीं, स्वस्थ लोकतंत्र के भविष्य के लिए भी उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि इसे लोकतंत्र में विश्वास रखने वाला कोई भी दल सहन नहीं करेगा। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि संसद एवं देश की सुरक्षा के लिए आवाज उठाने पर लोकसभा अध्यक्ष एवं राज्यसभा के उपसभापति द्वारा की गई यह कार्रवाई लोकतंत्र के लिए अच्छा संदेश नहीं है।

इस दौरान राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन में मांग की गई कि राजनीतिक प्रतिशोध और द्वेष की भावना से प्रेरित होकर विपक्षी दल के सांसदों के खिलाफ की गई निलंबन की कार्रवाई को शीघ्र वापस लिया जाए। इसके अलावा प्रदेशभर में जिला और महानगर मुख्यालयों पर भी प्रदर्शन किए गए।

प्रदर्शन में कांग्रेस ने दिखाई एकजुटता

बहुत दिनों में कांग्रेस के एक बड़े कार्यक्रम में पार्टी नेताओं की एकजुटता भी देखने को मिली। राजभवन घेराव कार्यक्रम में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, विधायक ममता राकेश, वीरेंद्र जाती, फुरकान अहमद, अनुपमा रावत, पूर्व मंत्री हीरा सिंह बिष्ट, डॉ. हरक सिंह रावत, मंत्री प्रसाद नैथानी, पूर्व विधायक राजकुमार, जोत सिंह गुनसोला ने भी प्रतिभाग किया। सभी नेताओं ने एक स्वर में सांसदों का निलंबन वापस लिए जाने की मांग की।

प्रदर्शन में ये भी रहे शामिल

मथुरा दत्त जोशी, सूर्यकांत धस्माना, विरेंद्र पोखलियाल, नवीन जोशी, गोदावरी थापली, जयेंद्र रमोला, जसविंदर सिंह गोगी, सतपाल ब्रहमचारी, लक्ष्मी अग्रवाल, मोहित उनियाल, शांति रावत, लालचंद शर्मा, गरिमा दसौनी, अनुकृति गुसांई, हेमा पुरोहित, मनीष नागपाल, राजेश चमोली, आनंद बहुगुणा, दर्शन लाल, नजमा खान आदि शामिल रहे।

विपक्षी दल के इन नेताओं ने भी लिया भाग

सपा के राष्ट्रीय सचिव डॉ. सत्यनारायण सचान, माले के इंद्रेश मैखुरी, सीपीआई के समर भंडारी, राजेंद्र नेगी, राजेंद्र पुरोहित, कम्युनिस्ट पार्टी की इंदु नौटियाल, टीकाराम पाण्डेय आदि ने भी भाग लिया।