Gangotri Dham: बर्फ से ढकीं चोटियां…नदियां, झरने और जंगल, कीजिए दीदार..खूबसूरत हर्षिल घाटी को आपका इंतजार

इसमें धराली गांव में मौजूद 5 हजार वर्ष पुराना कल्प केदार मंदिर मुख्य है। जिसका आधा भाग जमीन के 15 फीट भीतर तक है। हर्षिल घाटी में चारधाम यात्रा के दौरान यात्री यहां बर्फ से ढंकी चोटियों के साथ ही नदियों, झरनों, देवदार सहित थुनेर के जंगलों को लुत्फ भी उठाते हैं। यहां पर 12 माह पर्यटक प्राकृतिक सौंदर्य का दीदार करने पहुंचते हैं। तो वहीं चारधाम यात्रा के दौरान यात्री इस प्राकृतिक सौंदर्य के बीच आध्यात्मिक अनुभूति का लुत्फ उठा सकते हैं।
इसमें सबसे प्रमुख धराली गांव का कल्प केदार मंदिर है। जो कि गंगोत्री धाम से 22 किमी पहले खीर गंगा और भागीरथी नदी के संगम पर गंगोत्री हाईवे से महज 20 मीटर की दूरी पर स्थित है। स्थानीय निवासी संजय पंवार बताते हैं कि यह मंदिर 5000 हजार वर्ष पुराना है।


मान्यता है कि जनपद के विभिन्न स्थानों पर स्थित शिवलिंग और मंदिर यहीं से बहकर विभिन्न स्थानों पर पहुंचे। यहां पर वर्तमान में एक ही मंदिर बचा हुआ है।

जिसका आधा भाग जमीन के करीब 15 मीटर भीतर तक है। इसमें एक शिवलिंग भी मौजूद है। जो कि सफेद पत्थर की धातू का है।

इसके साथ ही हर्षिल में जालंधरी नदी और भागीरथी के संगम पर स्थित 105 वर्ष पुराना लक्ष्मी नारायण मंदिर है। इस संगम को हरि प्रयाग कहा जाता है। इस प्रयाग का उल्लेख स्कंदपुराण के केदारखंड में किया गया है। इसके साथ ही बगोरी गांव में रिंगाली देवी और लाल देवता के मंदिर के साथ बौद्ध मठ स्थित है।

यहां पर तिब्बती भाषा में लिखे शिलालेख भी मौजूद हैं। वहीं गंगा जी के शीतकालीन प्रवास मुखबा में गंगा मंदिर के साथ ही पहाड़ की वास्तुकला से बना समेश्वर देवता सहित नरसिंह देवता के मंदिर के दर्शन भी यात्री कर सकते हैं।
