December 9, 2024

सुप्रीम आदेश: उत्तराखंड की तीन जेलों से छंटेगी कैदियों की भीड़, इन शर्तों के साथ बीएनएनएस का नया प्रावधान लागू

उत्तराखंड की तीन प्रमुख जेलों से कैदियों की भीड़ छंटेगी। बीएनएनएस के नया प्रावधान पुराने कैदियों पर भी लागू होगा।

Prisoners Crowd will be dispersed from three major jails of Uttarakhand News in hindi

उत्तराखंड की जेलों में बंद जिन विचाराधीन कैदियों ने अपने केस की अधिकतम सजा की एक तिहाई अवधि सलाखों के पीछे काट ली है, उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश से तत्काल जमानत पर रिहा किया जाएगा। बशर्ते वे ऐसे अपराध में विचाराधीन न हों, जिसमें आजीवन कैद या मौत की सजा का प्रावधान हो।

यह प्रावधान नए कानून बीएनएनएस (भारतीय नागरिक न्याय संहिता) की धारा 479 के तहत है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने पुराने कैदियों पर भी लागू करने का आदेश दिया है। सुप्रीम आदेश के बाद राज्य की सभी जेलों के अधीक्षक को पत्र जारी कर दिया गया है।

इस आदेश से देहरादून, हल्द्वानी और हरिद्वार जेल को बड़ी राहत मिलेगी, जिनमें कुल क्षमता से अधिक विचाराधीन कैदी हैं। तीनों जेल की व्यवस्था पर अतिरिक्त भार है और कैदियों को अमानवीय परिस्थितियों का भी सामना करना पड़ता है।

पुराने कानून, दंंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत यह लाभ सजा की आधी अवधि जेल में बीतने के बाद मिलता था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने केंद्र सरकार की सहमति से देश की सभी जेलों को निर्देश जारी किया कि नए प्रावधान का लाभ उन कैदियों को भी दिया जाए, जो पुराने कानून के तहत विचाराधीन हैं। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, सभी जेल अधीक्षक को देखना होगा कि उनकी जेलों में ऐसे कौन से विचाराधीन कैदी हैं, जो सजा की एक तिहाई अवधि बिता चुके हैं। उनकी जमानत अर्जी जिला न्यायालय में लगवानी होगी।

684 विचाराधीन और 566 सजायाफ्ता बंदी
एक आरटीआई के अनुसार, देहरादून के जिला कारागार की कुल क्षमता 580 कैदी रखने की है, लेकिन उसमें 900 से अधिक विचाराधीन और 369 सजायाफ्ता (जिनका दोष सिद्ध हो चुका) कैदी हैं। इसी तरह हल्द्वानी के जिला कारागार की क्षमता 635 कैदी रखने की है, लेकिन वहां 1300 विचाराधीन और 140 सजायाफ्ता कैदी हैं। हरिद्वार के जिला कारागार की क्षमता 888 कैदी रखने की है, लेकिन वहां 684 विचाराधीन और 566 सजायाफ्ता बंदी हैं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर सभी जेल अधीक्षकों को निर्देश जारी किए हैं। ऐसे कैदियों की सूची बनाई जा रही है, उसके आधार पर आगे की कार्यवाही की जाएगी। -दधि राम, डीआईजी, जेल

प्रदेश की जेलों में क्षमता से अधिक कैदी हैं। सबसे बुरा पहलू यह है कि कई ऐसे लोग हैं जो सालों की सुनवाई के बाद निर्दोष साबित या बरी होंगे, लेकिन उनकी जेल में बिताई अवधि की भरपाई नहीं हो सकती। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से कैदियों को राहत मिलेगी। -आरएस राघव, क्रिमिनल एडवोकेट