October 6, 2025

रोडवेज की बसों में जोखिम का सफर, रबर चढ़े टायरों से दौड़ाई जा रही बसें

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अल्मोड़ा रोडवेज डिपो की एक बस का खस्ताहाल पहिया।

अल्मोड़ा। उत्तराखंड राज्य गठन के कई सालों बाद भी उत्तराखंड परिवहन निगम की हालत नहीं सुधरी। निगम के अल्मोड़ा स्थित डिपो में टायरों की कमी बनी है। नियमों को ताक पर रखकर रबर चढ़े टायरों से बसें दौड़ाई जा रहीं हैं जो कभी भी हादसे का कारण बन सकती है।

स्थानीय रोडवेज डिपो से चंडीगढ़, गुरुग्राम, दिल्ली, लखनऊ, हरिद्वार, देहरादून, टनकपुर, मासी, अठपेसिया, धरमघर समेत कई स्थानों को रोजाना 20 बसों का संचालन किया जाता है। उत्तराखंड परिवहन निगम में नियमों को ताक पर रखकर रबर चढ़ाए टायरों से बसें दौड़ाई जा रही हैं। बस और उसमें बैठे यात्रियों का बोझ टायरों पर टिका रहता है।

टायर घिसने पर यदि बार-बार उन पर रबर चढ़ाकर बसों को लंबे रूट पर दौड़ाया जाए तो हादसे का खतरा बढ़ जाता है। नियमों के मुताबिक बसों के आगे असली टायर लगाए जाते हैं लेकिन टायरों की कमी के कारण कुछ बसों में आगे के टायरों में भी रबर चढ़ाकर काम चलाया जा रहा है। बस में सबसे ज्यादा भार पिछले टायरों पर पड़ता है। पीछे के चार और आगे के दो टायर पूरी बस का भार सहते हैं।

परिवहन निगम की अधिकतर बसों की स्थिति अच्छी नहीं है। चाहे लंबे रूट की बसें हों या फिर पहाड़ में दौड़ने वाली। इन बसों की स्थिति निगम नहीं सुधार पाया और बसें रबर चढ़ाए टायरों के सहारे दौड़ रही हैं। मैदानी रूटों में बसें काफी तेज रफ्तार में चलती हैं। बताया जा रहा है कि रबर चढ़े टायरों के फटने की आशंका भी अधिक होती है।

ट्रक और दूसरे भारी वाहनों को भी रबर चढ़े टायरों का सहारा
अल्मोड़ा। पुराने टायर पर रबर चढ़ाना नियम विरुद्ध है। रोडवेज समेत ट्रक और अन्य भारी वाहनों के टायरों में भी मानकों की अनदेखी कर रबर चढ़ाई जा रही है। हाईवे पर ट्रक और अन्य भारी वाहन अंधाधुंध दौड़ते हैं। रबर चढ़े टायरों के फटने की आशंका 90 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। रबर चढ़े टायरों के साथ सड़कों में दौड़ रहे ट्रक और अन्य भारी वाहन कभी भी हादसे का शिकार हो सकते हैं।

बसों की सीटें भी हैं खस्ताहाल
अल्मोड़ा। रोडवेज की कई बसों में सीटें भी खस्ताहाल हैं। सीटें कई स्थानों पर फटी हैं। कुछ सीटें टूट चुकी हैं। सीटें अच्छी न होने के कारण बस के यात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। खासकर लंबी दूरी के यात्रियों को अधिक परेशानी होती है। ठंड के दिनों में कई यात्री खस्ताहाल सीटों के ऊपर अपना कंबल और चादर बिछाकर यात्रा करते हैं। यात्रियों का कहना है कि किराया देने के बावजूद सरकारी बसों में बेहतर सुविधाएं नहीं मिल रही है।

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डिपो में चालकों के 20 पद खाली, चार सेवाएं स्थगित
अल्मोड़ा। रोडवेज के स्थानीय डिपो में चालकों के 20 और परिचालकों के 10 पद खाली चल रहे हैं। चालकों की कमी के कारण मंगलवार को शुक्रवार को अल्मोड़ा-टनकपुर, अल्मोड़ा-मासी, अल्मोड़ा-बेतालघाट-दिल्ली, अल्मोड़ा-घरमघर सेवाओं का संचालन ठप रहा। इससे यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ी।

रोडवेज की बसों के आगे असली टायर ही लगाए जाते हैं। यदि रास्ते में बस का टायर पंक्चर होता है, तभी रबर चढ़ायी जाती है। रोडवेज बसों की खराब सीटों को बदलने का काम जल्द शुरू होगा। यात्रियों को किसी भी तरह की दिक्कत नहीं होने दी जा रही है।
– रमेश जोशी, फोरमैन, रोडवेज डिपो, अल्मोड़ा।

 

 

 

 

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