October 6, 2025

Uttarkashi Disaster: खीर गंगा में आई तबाही के सात दिन बीतने के बाद भी चुनौती बरकरार, सड़क बंद, ऐसा है हाल

उत्तरकाशी जिले के धराली आपदा में प्रशासन ने 68 लोगों के लापता होने की पुष्टि कर दी है। इसमें नेपाल मूल के 25 मजदूर भी शामिल हैं। आपदा के आठवें दिन मंगलवार को बचाव व राहत कार्य जारी रहा। लेकिन संचार सेवा बाधित होने से दिक्कतों का सामना करना पड़ा। स्थानीय लोगों का एक-दूसरे से संपर्क नहीं हो पाया

Uttarkashi Dharali Disaster Even after seven days of devastation in Kheer Ganga challenge remains road closed

पांच अगस्त को खीर गंगा में आई तबाही के सात दिन बीतने के बाद भी चुनौती जस की तस बनी हुई है। गंगोत्री धाम, हर्षिल और धराली के लोगों जिला मुख्यालय से अभी भी कटे हुए हैं। बहुत से लोगों का पता नहीं है। राहत-बचाव कार्य चल घूम रहा है, लेकिन कभी नदी का बढ़ता जलस्तर और कभी संचार व्यवस्था चरमराने की समस्याएं सामने आ रही हैं।

आपदा के बाद से डबरानी से आगे गंगोत्री हाईवे का यातायात पूरी तरह ठप है। सड़क को खोलने की कोशिशें जारी हैं, लेकिन डबरानी से आगे हाईवे कई जगह बुरी तरह क्षतिग्रस्त है। ऐसे में धराली क्षेत्र में जाने का एकमात्र विकल्प 30 किमी का पैदल सफर ही बचा है। पहाड़ी चढ़ाई, टूटी पगडंडियां और बीच-बीच में मलबे के ढेर का सफर बुजुर्गों, बच्चों और महिलाओं के लिए और भी कठिन बनता जा रहा है।

लापता 24 नेपाली मजदूरों के संबंध में उनके परिजनों से संपर्क साधा जा रहा
राहत और बचाव कार्य के लिए सेना, एनडीआरएफ, आईटीबीपी, एसडीआरएफ, पुलिस और आपदा प्रबंधन की क्यूआरटी मैदान में उतरी हैं। राहत के लिए चिनूक, एमआई-17 और आठ अन्य हेलीकॉप्टर तैनात किए गए। युद्धस्तर पर चलाए गए हेली रेस्क्यू अभियान में अब तक 1278 लोगों को सुरक्षित निकालकर उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया। इनमें सात गर्भवती महिलाएं भी हैं। जिन्हें जिला अस्पताल पहुंचाकर डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है।

प्रभावित गांवों में राहत शिविर लगाकर लोगों को भोजन, स्वास्थ्य परीक्षण और जरूरी दवाएं दी जा रही हैं। आपदा में अब तक 43 लोगों के लापता होने की सूचना है। जिनमें धराली गांव के एक युवक का शव बरामद हो चुका है। इसके अलावा लापता 24 नेपाली मजदूरों के संबंध में उनके परिजनों से संपर्क साधा जा रहा है।

शासन ने राहत स्वरूप 98 प्रभावित परिवारों को पांच-पांच लाख रुपये की चेक राशि वितरित की है। लिम्चागाड में बहे पुल के स्थान पर बैली ब्रिज तैयार कर वाहन संचालन शुरू किया है। वहीं डबरानी से सोनगाड तक गैस सिलेंडरों की आपूर्ति खच्चरों के जरिए की जा रही है। लेकिन धराली-हर्षिल के लोगों की सबसे बड़ी मुश्किल 30 किमी की यह पैदल दूरी अब भी खत्म होने का नाम नहीं ले रही।