October 6, 2025

Uttarkashi: ऋषिगंगा की आपदा के बाद भू-वैज्ञानिकों ने अर्ली वार्निंग सिस्टम बताया था जरूरी, नहीं हुई कोई पहल

2021 को ग्लेशियर फटने से ऋषिगंगा में बाढ़ आ गई थी। ऋषिगंगा ऊर्जा परियोजना में काम करने वाले 200 से अधिक मजदूर व अन्य लापता हो गए थे। घटना के बाद वरिष्ठ भू-वैज्ञानिक व गढ़वाल केंद्रीय विवि के भूगर्भ विभागाध्यक्ष सहित अन्य भू-वैज्ञानिकों ने नदी घाटी परियोजनाओं के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में श्रृंखलाबद्ध अर्ली वार्निंग सिस्टम (एवीएस) लगाए जाने की बात पर जोर दिया था।

Uttarkashi Disaster No initiative taken for early warning system Uttarakhand News

भू-वैज्ञानिक लंबे समय से राज्य में नदी परियोजना क्षेत्रों के ऊपरी जल ग्रहण क्षेत्रों में अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाने के लिए आगाह कर रहे हैं। 2021 में ऋषिगंगा आपदा के बाद भू-वैज्ञानिकों ने इसका पुरजोर समर्थन किया था लेकिन शासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। राज्य में अर्ली वार्निंग सिस्टम की सुविधा होती तो शायद धराली आपदा में जनहानि का आंकड़ा कुछ और होता।

सात फरवरी 2021 को ग्लेशियर फटने से ऋषिगंगा में बाढ़ आ गई थी। इस बाढ़ में ऋषिगंगा और तपोवन हाईड्रो प्रोजेक्ट पूरी तरह ध्वस्त हो गए थे। ऋषिगंगा ऊर्जा परियोजना में काम करने वाले 200 से अधिक मजदूर व अन्य लापता हो गए थे। घटना के बाद प्रदेश के वरिष्ठ भू-वैज्ञानिक व गढ़वाल केंद्रीय विवि के भूगर्भ विभागाध्यक्ष प्रो. एमपीएस बिष्ट सहित अन्य भू-वैज्ञानिकों ने नदी घाटी परियोजनाओं के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में श्रृंखलाबद्ध अर्ली वार्निंग सिस्टम (एवीएस) लगाए जाने की बात पर जोर दिया था।

प्रो. बिष्ट ने कहा कि प्रदेशभर में ऐसे स्थानों का चिह्नित कर परियोजना कंपनियों को अर्लीवार्निंग सिस्टम लगाना चाहिए जिससे समय रहते आपदा की सूचना मिल सके और जनहानि को कम किया जा सके। प्रो. बिष्ट ने बताया कि बीते 29 मई को यूरोप के आल्प्स पर्वत में भी धराली जैसी आपदा आई।

आपदा से पहले ही पूरा गांव खाली करा दिया गया
आल्प्स पर्वत का एक विशाल ग्लेशियर का हिस्सा टूट गया जिससे हजारों टन बर्फ, कीचड़ और चट्टानों का सैलाब गांव की ओर बह आया। जिसमें स्विटजरलैंड का ब्लैटिन गांव जलमग्न हो गया लेकिन यहां अर्ली वार्निंग सिस्टम के चलते आपदा से पहले ही पूरा गांव खाली करा दिया गया था। भेड़ों और यहां तक कि गायों को भी हेलीकॉप्टर से निकाला गया था। प्रो. बिष्ट ने कहा कि धराली आपदा के बाद शासन को अर्ली वार्निंग सिस्टम के प्रति गंभीर होना होगा। अन्यथा भविष्य में और भी गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।आपदा के एक सप्ताह बाद भी कारण स्पष्ट नहीं

आपदा के लिए संवेदनशील उत्तराखंड राज्य में धराली आपदा ने व्यवस्थाओं की पोल खोल दी है। स्थिति यह है कि घटना के एक सप्ताह बाद भी अभी तक आपदा के स्पष्ट कारणों का पता नहीं चल पाया है।