October 6, 2025

Uttrakhand Election: धामी सरकार के मंत्री हरक सिंह रावत के इस्तीफे ने बढ़ाई हलचल, बदल रही प्रदेश की राजनीतिक तस्वीर

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देहरादून
पहाड़ों पर भले ही बर्फबारी हो रही है। कंपकंपा देने वाली ठंड पड़ रही, लेकिन राजनीतिक गर्मी चरम पर है। ऐसी गर्मी कि कैबिनेट की बैठक के बीच से तमतमाए कैबिनेट मंत्री निकलते हैं और अपने इस्तीफे का ऐलान कर देते हैं। पार्टी पर कंगाल बना देने का आरोप लगाते हुए। घर वापसी की चर्चा है। इसी के साथ प्रदेश में एक बार फिर राजनीतिक समीकरण बदलने के आसार तेज होने लगे हैं।

कांग्रेस के पाले में पूर्व सीएम हरीश रावत की नाराजगी की खबरों ने खूब सुर्खियां बटोरी। उनकी नाराजगी से दिल्ली तक हिल गई। अब बारी भाजपा की थी। पार्टी के नेताओं की नाराजगी की खबर तो दिल्ली तक पहुंचती रही है। यही कारण रहा है कि पिछले नौ माह में प्रदेश की राजनीति में काफी कुछ बदल गया है। चार माह के भीतर प्रदेश ने तीन मुख्यमंत्री देखे। इसके पीछे भी बड़ा कारण प्रदेश में गुटबाजी का तेज होना रहा है। अब सीएम पुष्कर सिंह धामी के शासनकाल में भी इस पर लगाम लगाने में कामयाबी नहीं मिल पाई।

त्रिवेंद्र, तीरथ से धामी काल तक एक ही कहानी
प्रदेश की राजनीति में भाजपा को गुटबाजी का सामना करना पड़ रहा है, यह अब किसी से छिपा नहीं रहा। मार्च में 4 साल से अधिक का कार्यकाल पूरा करने के बाद इसी वजह से त्रिवेंद्र सिंह रावत को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी। इसके बाद तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया। उन्हें भी 2 जुलाई को पद से हटना पड़ा। कारण भले ही चुनाव न कराया जाना रहा हो, लेकिन गुटबाजी तब भी हावी थी। अब धामी सरकार में हरक सिंह रावत का गुस्सा सामने आ गया है।
आंखों में आंसू वाली सियासत
हरक सिंह रावत जब कैबिनेट की बैठक से तमतमाए बाहर निकले तो उन्होंने अपनी भड़ास मीडिया कैमरे पर निकाली। भाजपा पर भिखाड़ी बना देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मैं पिछले कई सालों से कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज की मांग कर रहा हूं। कई बार यह मुद्दा सरकार के सामने उठाया, लेकिन हमारी कहीं नहीं सुनी गई। हरक सिंह रावत ने आरोप लगाया कि पुष्कर धामी सरकार कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज को लटका रही है। ऐसे में वे काम नहीं कर सकते। गुस्से में तमतमाए रावत कैमरे के सामने ही रोने लगे। अब वे इसी आंसू वाली सियासत को चुनावी मैदान में लेकर जाने वाले हैं, इतना तो तय है।
साफ है, भाजपा में सबकुछ ठीक नहीं
हरक सिंह रावत के इस प्रकार पद छोड़ने की घोषणा से साफ है कि भाजपा में सबकुछ ठीक नहीं है। पार्टी की ओर से अब तक उनके इस्तीफे से इंकार किया जा रहा है। हालांकि, माना यह जा रहा है कि हरक सिंह रावत चुनाव से पहले भाजपा को झटका दे सकते हैं। वे पुराने कांग्रेसी रहे हैं। वर्ष 2016 में उन्होंने कांग्रेस को झटका देकर भाजपा ज्वाइन कर लिया था। विधानसभा चुनाव 2017 में बड़ी जीत के बाद उन्हें इसका ईनाम भी मिला। अब एक बार फिर उनकी कांग्रेस में जाने के चर्चे हैं। ऐसे में भाजपा को पार्टी में भगदड़ रोकने के लिए इंतजाम करने होंगे।

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