परेशानी: उत्तराखंड में कम से कम हफ्तेभर और झेलना होगा बिजली संकट, डिमांड 100 मेगावाट की, मिली 36 ही
प्रदेश में लगातार हो रही बिजली कटौती पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सख्ती के बाद यूपीसीएल ने भी कोशिशें तेज कर दी हैं। यूपीसीएल ने ऊर्जा मंत्रालय से बातचीत कर देर रात बोंगाईगांव पावर प्लांट, असम से 36 मेगावाट बिजली का इंतजाम किया। यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार ने दावा किया कि सप्ताहभर में बिजली कटौती को और नियंत्रित कर दिया जाएगा।

प्रदेशवासियों को भीषण गर्मी और लगभग पंद्रह घंटे के रोजे वाले दिनों में कम से कम हफ्ते भर और बिजली संकट झेलना पड़ेगा। रविवार को हरिद्वार के सिडकुल में लगभग 4 घंटे, ग्रामीण क्षेत्रों में 6-7 घंटे, ऊधम सिंह नगर में हर रोज तीन से पांच घंटे बिजली कटौती हो रही है। औद्योगिक उत्पादन पर भारी असर पड़ा है।
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खुद यूपीसीएल ने भी स्वीकार किया है कि वह एक सप्ताह में कटौती को नियंत्रण में लाएगा। मुख्यमंत्री की सख्ती के बाद यूपीसीएल ने 36 मेगावाट बिजली का इंतजाम किया लेकिन यह प्रदेश की मौजूदा मांग को पूरा करने के लिए नाकाफी है। प्रदेश को फिलवक्त 100 मेगावाट बिजली की जरूरत है।
प्रदेश में पैदा होने वाली ज्यादातर बिजली बाहर चली जाती है
प्रदेश में बिजली की सालाना मांग 2468 मेगावाट है। विभिन्न परियोजनाओं से यहां 5211 मेगावाट बिजली पैदा होती है लेकिन राज्य कोटे के तहत 1320 मेगावाट बिजली ही मिलती है।
प्रदेश का बिजली परिदृश्य एक नजर में
राज्य की परियोजनाओं से कुल उत्पादन 5211
सालाना मांग 2468
राज्य कोटे से मिलती है 1320
(आंकड़े मेगावाट में)
यूपीसीएल का दावा: सात दिन में नियंत्रण में लाएंगे बिजली कटौती
उद्योगों में बिजली की खपत 20 फीसदी बढ़ी
भार 443 प्रतिशत, उत्पादन 35 प्रतिशत बढ़ा
यूपीसीएल के मुताबिक, वर्ष 2001 में 8.3 लाख बिजली उपभोक्ता थे, जिनकी संख्या इस साल मार्च में 27.28 लाख पर पहुंच गई। उपभोक्ताओं की संख्या में 229 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। प्रदेश में 2001 में बिजली का भार 1466 मेगावाट था जो कि मार्च तक बढ़कर 7967 यानी 443 प्रतिशत बढ़ोतरी पर आ गया। इसके सापेक्ष, यूजेवीएनएल 2001 में 998 मेगावाट बिजली देता था जो कि अब 1356 मेगावाट तक आ गया है। यानी बिजली का उत्पादन केवल 35 फीसदी ही बढ़ा है।
