November 21, 2025

Uttarakhand Bus Accident: अधूरी रह गई दर्शन की आस, 17 दिन बाद घर लौटेंगे तीर्थयात्रियों के शव

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Uttarakhand Bus Accident live and updates:  MP CM SS Chouhan reaches Dehradun and taken complete information from the spot

हरिद्वार से यमुनोत्री जा रही चारधाम यात्रियों से भरी बस रविवार शाम 200 फीट गहरी खाई में गिर गई। इस हादसे में 26 लोगों की मौत हो गई। घटना की सूचना पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने उत्तराखंड पहुंचे। उन्होंने मृतकों के परिवारों को 5-5 लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये देने की घोषणा की है।

पिछले महीने की 20 तारीख को निकले थे यात्री घर से

बस हादसे में मध्य प्रदेश के जिन 26 यात्रियों की मौत हुई है, वह पिछले महीने की 20 तारीख को घर से निकले थे और 17 दिनों का यह सफर उनकी जिंदगी का आखिरी सफर साबित हुआ। बीस मई को घर से निकलने के बाद सभी लोग महिघर, चित्रकूट, इलाहाबाद, बनारस, मिर्जापुर, बिहार के सीता मढ़ी और नेपाल की जनकपुरी तथा काठमांडू आदि तीर्थ स्थानों की सकुशल यात्रा कर चुके थे। सभी यात्री दो जून को हरिद्वार पहुंचे और चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण करवाया। जिसमें दो दिन का समय लग गया। पांच जून को सभी यात्री बस में सवार हो कर खुशी-खुशी यमुनोत्री के लिए रवाना हुए, लेकिन उन्हें क्या मालूम था कि यमुनोत्री पहुंचने से पहले ही उनकी जीवन यात्रा समाप्त हो जाएगी। टूर मैनेजर बेद विहारी अवस्थी ने बताया कि 69 लोगों का दल एक साथ चल रहा था। हरिद्वार से दो बसें हायर की गई थी, जिसमें हादसे वाली बस में 28 और दूसरी बस में 41 लोग सवार थे।

प्रशासन को सीख लेने की जरूरत

यमुनोत्री हाइवे पर डामटा के समीप हुए बस हादसे से प्रशासन और राजमार्ग निर्माण खंड को सीख लेने की जरूरत है, जिस जगह हादसा हुआ वह स्थान प्रशासन की डायरी में डेंजर जोन में शामिल होने के बावजूद वहां पर पैरापिट नहीं लगाया गया है। इसलिए सवाल उठता है कि चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले घटनास्थल पर सुरक्षात्मक उपाय क्यों नही किए गए।

केवल सर्वे तक सीमित है डेंजर जोन

हर साल डेंजर जोन, ब्लैक स्पॉट आदि की संज्ञा देकर स्थानों को चिह्नित किया जाता है। पुलिस, परिवहन और पीडब्ल्यूडी आदि विभागों द्वारा सिर्फ डेंजर जोन के संकेतक लगाकर इतिश्री कर दी जाती है। समय-समय पर इन स्थानों को दुरुस्त करने को कागजी कार्रवाई भी होती है। विभागों में समन्वय की कमी से यह धरातल पर नहीं उतर पाता है। जहां डेंजर जोन की बात है, तो उत्तरकाशी जिले में 25 से अधिक डेंजर जोन हैं। वहीं, पिथौरागढ़ जिले में 59 डेंजर जोन हैं।

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