November 21, 2025

Exclusive: उत्तराखंड में 10 पर्वतीय जिलों से नौ महीने में 58 हजार मतदाताओं ने किया पलायन, पढ़ें खास रिपोर्ट

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मुख्य निर्वाचन अधिकारी की ओर से जारी आंकड़ों पर गौर करें तो पर्वतीय जिलों से मतदाताओं के दूसरी जगहों पर पलायन की आशंका नजर आ रही है। पांच जनवरी से 30 सितंबर तक प्रदेशभर से मतदाता सूची से कुल एक लाख 69 हजार 529 नाम हटाए गए।

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उत्तराखंड के दस पर्वतीय जिलों से बीते नौ माह में 58 हजार से ज्यादा मतदाताओं ने अपने विधानसभा क्षेत्रों से पलायन कर लिया है। निर्वाचन कार्यालय की ओर से नौ महीने में मतदाता बनने, नाम जोड़ने, नाम हटाने, पते में परिवर्तन आदि की गतिविधियों में यह आंकड़ा सामने आया है। विधानसभा की मतदाता सूची से हटने को पता बदलने के साथ ही पहाड़ से पलायन के नजरिये से भी देखा जा रहा है।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी की ओर से जारी आंकड़ों पर गौर करें तो पर्वतीय जिलों से मतदाताओं के दूसरी जगहों पर पलायन की आशंका नजर आ रही है। पांच जनवरी से 30 सितंबर तक प्रदेशभर से मतदाता सूची से कुल एक लाख 69 हजार 529 नाम हटाए गए।

इनमें से 32 हजार 997 नाम ऐसे थे, जिनकी मृत्यु हो चुकी है। 15 हजार 772 नाम ऐसे थे जो कि रिपीट हो रहे थे। एक लाख 20 हजार 760 नाम ऐसे हैं जो कि अपनी विधानसभा से पलायन कर चुके हैं। देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर मैदानी और घनी आबादी वाले जिलों से कुल 62 हजार 658 मतदाताओं ने पलायन किया है, जबकि बाकी दस पर्वतीय जिलों से 58 हजार 102 मतदाताओं ने अपनी विधानसभा से पलायन किया है।

संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रताप शाह ने बताया कि यह आंकड़ा अपनी विधानसभा छोड़कर जाने वालों का है। इनमें एक विधानसभा से दूसरी विधानसभा या पर्वतीय जिलों से मैदानी जिलों या दूसरे राज्यों के पलायन वाले शामिल हो सकते हैं।

 

नैनीताल, अल्मोड़ा, पौड़ी से सबसे ज्यादा पलायन

आंकड़ों पर गौर करें तो पर्वतीय जिलों में वोटरों के पलायन के मामले में 11,883 संख्या के साथ नैनीताल पहले, 11,474 के साथ अल्मोड़ा दूसरे और 11,093 के साथ पौड़ी जिला तीसरे स्थान पर है। इसके अलावा पिथौरागढ़ से 8388, टिहरी से 6120, चमोली से 3852, रुद्रप्रयाग से 1910, बागेश्वर से 1883, चंपावत से 1017 और उत्तरकाशी से 482 वोटरों ने अपनी विधानसभा से पलायन किया है। वहीं, मैदानी जिलों में 35 हजार 512 वोटरों के साथ ऊधमसिंह नगर पहले, 14 हजार 399 के साथ हरिद्वार दूसरे और 12 हजार 747 के साथ देहरादून तीसरे स्थान पर है।

11 में से सात पर्वतीय विधानसभा क्षेत्रों में मानकों से अधिक वोटर हटे

चुनाव आयोग ने किसी भी विधानसभा की सूची में अधिकतम चार प्रतिशत वोटर जुड़ने और अधिकतम दो प्रतिशत वोटर हटने का मानक रखा है। प्रदेश के 11 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जिनमें दो प्रतिशत से अधिक वोटरों के नाम हटे हैं। इनमें सात विधानसभा क्षेत्र पर्वतीय जिलों के हैं। पर्वतीय जिलों की चौबट्टाखाल विस क्षेत्र से 2.17 प्रतिशत, पिथौरागढ़ से 2.32 प्रतिशत, प्रतापनगर से 2.34 प्रतिशत, डीडीहाट विधानसभा से 3.51 प्रतिशत, लैंसडौन से 3.54 प्रतिशत, अल्मोड़ा से 3.80 प्रतिशत और रामनगर से 4.16 प्रतिशत वोटरों के नाम सूची से हटाए गए हैं। जबकि मैदानी जिलों में, खटीमा सीट से 2.01 प्रतिशत, नानकमत्ता से 3.01 प्रतिशत, रुड़की से 4.11 प्रतिशत, काशीपुर से 5.62 प्रतिशत और जसपुर से 5.96 प्रतिशत मतदाताओं के नाम सूची से हटाए गए हैं। इन सभी विधानसभा क्षेत्रों की जांच की जाएगी कि इतनी बड़ी संख्या में नाम कैसे जुड़े या हटे।

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