October 6, 2025

पश्चिमी यूपी के 60 विधानसभा क्षेत्रों से ग्राउंड रिपोर्ट: क्या किसान आंदोलन ने भाजपा को नुकसान पहुंचाया? विपक्ष कितना मजबूत हुआ, पढ़िए लोगों ने क्या कहा

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Farmers Protest: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया है। जल्द ही संसद में इसका प्रस्ताव भी लाया जाएगा। प्रधानमंत्री के इस ऐलान के बाद ‘अमर उजाला’ की टीम ने सीतापुर में जमीन से जुड़े किसानों की राय जानी। पढ़िए किसने क्या कहा?

Farmers Protest : प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है।

अगले साल उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसको लेकर ‘अमर उजाला’ का चुनावी रथ ‘सत्ता का संग्राम’ पश्चिमी यूपी के अलग-अलग जिलों में जाकर लोगों का मिजाज समझने की कोशिश कर रहा है। ‘चाय पर चर्चा’ कार्यक्रम के जरिए हमने सरकार की नीतियों, फैसलों को लेकर वोटर्स की राय और विपक्ष के दावों को परखा।

उत्तर प्रदेश के इस चुनाव पर पूरे देश की नजरें टिकी हुई हैं। चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों के अपने-अपने दावे हैं। विपक्ष का कहना है कि चुनाव में किसान आंदोलन, लखीमपुर खीरी कांड, बढ़ती महंगाई और रोजगार जैसे मुद्दों का असर दिखेगा। भाजपा के हाथों से उत्तर प्रदेश की सरकार चली जाएगी।

 

वहीं, भाजपा 350 से ज्यादा सीटों का दावा कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद बोल चुके हैं कि भाजपा पहले से ज्यादा ताकतवर तरीके से सत्ता में आएगी। ‘अमर उजाला’ ने ग्राउंड पर जाकर इन दावों की पड़ताल की। अलग-अलग चरणों में हम आपको उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों के 403 सीटों के हालात के बारे में बताएंगे। फिलहाल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 9 जिलों के 60 विधानसभा सीटों की रिपोर्ट पढ़िए…

पहले जान लिजिए 2017 में इन 60 सीटों पर क्या हुआ?

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।

11 नवंबर को ‘सत्ता का संग्राम’ कार्यक्रम की शुरुआत गाजियाबाद से हुई। यहां से अमरोहा, रामपुर, बरेली, बदायूं, पीलीभीत, शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी होते हुए चुनावी रथ आज सीतापुर पहुंचा है। गाजियाबाद में 5, अमरोहा में 4, रामपुर में 5, बरेली में 9, बदायूं में 7, पीलीभीत में 7, शाहजहांपुर में 6, लखीमपुर खीरी में 8 और सीतापुर में 9 विधानसभा सीटें हैं। 2017 विधानसभा चुनाव में इन 60 सीटों में से 54 सीटों पर भाजपा के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी।  अन्य छह सीटें बसपा और सपा के कब्जे में है।

‘अमर उजाला’ की टीम ने इन्हीं 9 जिलों की 60 सीटों का जायजा लिया। यहां 296 लोगों ने बताया कि इस बार चुनाव में क्या मुद्दे होने वाले हैं? भाजपा पर फिर से आम लोग भरोसा जताएंगे या फिर सपा, बसपा या कांग्रेस को बनाएंगे विकल्प? क्या आम आदमी पार्टी का कोई जादू चलेगा?

किसान आंदोलन का कितना असर?

सीतापुर में किसानों से चर्चा करते हुए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया है। ऐसा कहा जाता रहा है कि किसानों के आंदोलन का असर पश्चिमी यूपी में अधिक पड़ेगा। आंदोलन में यहां के ज्यादा किसान शामिल हुए हैं। लेकिन जमीनी पड़ताल करने पर अलग कहानी मालूम चली। यहां आम किसानों के बीच इसका पहले से भी कोई खास असर नहीं देखने को मिला। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कई जिलों में तो इसकी चर्चा भी नहीं हुई।

गाजियाबाद में हमारी टीम ने चाय पर चर्चा के दौरान 17 लोगों से बातचीत की। ये सभी लोग हर रोज की तरह चाय की दुकान पर चाय पीने पहुंचे थे। मतलब ज्यादातर लोग एक-दूसरे से अनजान थे। इन लोगों ने करीब एक घंटे की चर्चा में एक बार भी किसान आंदोलन का मुद्दा नहीं उठाया। इसी तरह रामपुर, बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर और सीतापुर में भी करीब एक-एक घंटे का कार्यक्रम चला। लोगों ने कई मुद्दों पर बात की, लेकिन किसी एक ने भी कृषि कानून या किसान आंदोलन का जिक्र नहीं किया।

हां, अमरोहा, पीलीभीत और लखीमपुर खीरी में एक-एक लोगों ने किसानों का मुद्दा जरूर उठाया। अमरोहा में 18 लोगों ने चाय के साथ चुनावी चर्चा की। इसमें सिर्फ रईसुद्दीन ने किसानों का मुद्दा उठाया। बोले, ‘सरकार ने किसानों के लिए कुछ नहीं किया है। गन्ना बकाया का भुगतान अभी तक नहीं हो पाया है। गन्ने का दाम भी सरकार ने नहीं बढ़ाया।’

इसी तरह पीलीभीत में 16 लोगों से बातचीत हुई। इनमें सुशीला देवी आर्या इकलौती थीं, जिन्होंने किसानों की बात की। सुशीला ने कहा, ‘किसान हमारा अन्नदाता है। क्या दो हजार में किसानों का गुजारा हो जाएगा? फसल का सही समर्थन मूल्य मिलना चाहिए। डीजल-पेट्रोल महंगा हो गया है। किसानों को सब्सिडी मिलनी चाहिए। किसानों की सुविधाएं बढ़ाई जानी चाहिए।’ हालांकि इनमें से किसी ने किसान आंदोलन या कृषि कानून को लेकर एक शब्द नहीं कहा।

लखीमपुर खीरी में दो लोगों ने किसानों के मुद्दे उठाए। पहले दिलीप पासवान थे जो कांग्रेस के नेता हैं। उन्होंने कहा किसानों के गन्ने का बकाया भुगतान अब तक नहीं हुआ। किसान परेशान है। सरकार किसानों को कोई सुविधा नहीं दे रही है। लखीमपुर कांड का भी जिक्र किया।’

इसी तरह व्यापारी रवि शुक्ला ने कहा कि मौजूदा सरकार में बहुत विकास के काम हुए हैं। सड़कें पहले से काफी बेहतर हो गई हैं। भाजपा अन्य राजनीतिक दलों से बेहतर काम करती है। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि इस बार लखीमपुर खीरी में किसानों के मुद्दे का असर देखने को मिलेगा। किसानों पर चढ़ी गाढ़ी के चलते भाजपा को नुकसान होगा।

पश्चिमी यूपी के इन सभी आठ जिलों को किसानों के लिहाज से काफी अहम माना जाता है। इसके बावजूद यहां किसान आंदोलन और कृषि कानून का कोई खास चर्चा न होना बड़ी बात है। दूरदर्शन के वरिष्ठ पत्रकार और किसान आंदोलन को नजदीक से कवर करने वाले अशोक श्रीवास्तव कहते हैं कि ये वो जिले हैं, जहां राकेश टिकैत और किसान संगठनों की काफी अच्छी पकड़ मानी जाती है।

 

इसके बावजूद यहां आम लोगों के बीच कृषि कानूनों और आंदोलन का चर्चा न होना ये साफ करता है कि चुनाव में किसान आंदोलन का कोई खास असर नहीं पड़ने वाला है। शुरुआत में इस आंदोलन के प्रति लोगों का जितना रूझान था, अब उतना ही इससे चिढ़न होने लगी है। लोग 26 जनवरी पर लाल किले पर हुई घटना, सिंघु बॉर्डर पर हो रहीं घटनाओं और फिर किसान नेताओं के राजनीतिक बयानों से ये समझ चुके हैं कि असल में इस आंदोलन का किसानों से कोई खास लेना-देना नहीं है।

कानून व्यवस्था और विकास पर क्या है राय?

गाजियाबाद में चाय पर चर्चा करते हुए लोग।

ज्यादातर लोगों का मानना है कि कानून व्यवस्था और विकास कार्य पहले के मुकाबले बेहतर हुए हैं। गुंडे और बदमाशों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हुई है। लूटपाट, छिनैती, रेप और छेड़खानी जैसी घटनाओं में भी कमी आई है। हालांकि, लोगों ने ये भी साफ कर दिया कि ये उतना बेहतर नहीं हुआ है जितनी लोगों की उम्मीदें थी।

इसी तरह विकास के मुद्दों को लेकर लोगों की मिली-जुली राय सुनने को मिली। लोग ये तो मानते हैं कि पहले के मुकाबले सड़कें चौड़ी हुई हैं। चौराहों का सौंदर्यीकरण हुआ है। साफ-सफाई के प्रति लोगों की जागरूकता आई है, लेकिन फिर भी पूरी तरह से संतुष्ट नहीं दिखाई दिए। लोगों ने कहा कि सड़कें चौड़ी भी हुई हैं और नई भी बनी है, लेकिन ज्यादातर सड़कें एक ही बारिश में गड्डा युक्त हो जाती हैं। लगभग सभी जिलों में अतिक्रमण का मुद्दा सबसे ज्यादा हावी रहा।

महंगाई और रोजगार पर घिरती नजर आई सरकार

सीतापुर में चाय पर चर्चा करते हुए लोग।

जहां लोग कृषि कानून, कानून व्यवस्था और विकास कार्यों पर भाजपा को पास बताते आए, वहीं रोजगार और महंगाई के मामले में घेर लिया। ये दोनों मुद्दे हर जिले में चाय पर चर्चा के दौरान लोगों की जुबां पर सबसे ज्यादा रहे। ‘अमर उजाला’ से बात करने वाले 95% लोगों ने महंगाई को लेकर सरकार को घेरा, वहीं रोजगार के मामले में ये आंकड़ा 50% रहा।

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महंगाई पर सबका कहना था कि सरकार को पेट्रोल-डीजल, गैस सिलेंडर और खाद्य पदार्थों की कीमतों को कम करने की दिशा में काम करना चाहिए। लोगों ने कहा कि कोरोनाकाल के चलते लोगों के जेबों पर काफी असर पड़ा है। कई लोगों की नौकरियां छूट गई तो कुछ के सैलरी में कटौती हो चुकी है। लेकिन इसके उलट महंगाई लगातार बढ़ रही है। इससे आम जनता परेशान है। हालांकि, कुछ लोग ऐसे भी रहे जिन्होंने तर्क दिया कि सरकार ने कोरोनाकाल में भी गरीबों और आम लोगों का भरपूर ख्याल रखा। मुफ्त राशन, सिलेंडर दिया। अब लोगों को मुफ्त वैक्सीन लगाई जा रही है। ऐसे में कहीं न कहीं से रैवेन्यू तो बढ़ाना ही पड़ेगा न?

 

जब रोजगार की बात आई तो सरकार का समर्थन और खिलाफत करने वालों की संख्या 50-50% हो गई। कुछ लोगों ने कहा कि मौजूदा सरकार में बेरोजगारी बढ़ी है। युवा पढ़ाई-लिखाई करने के बाद बेरोजगार बैठे हैं। सरकारी भर्तियां नहीं निकल रही हैं। जो निकलती हैं उसे भी पूरा करने में 3 से 5 साल लग रहे हैं। इससे युवाओं की उम्र भी निकल रही है। प्राइवेट सेक्टर में भी नौकरी का संकट है। अगर कोई अपने जिले में अच्छी नौकरी पाना चाहता है तो उसे नहीं मिल पाएगी।

वहीं, दूसरे पक्ष का कहना है कि सरकार ने आत्मनिर्भर भारत बनाने की कल्पना की है। स्टार्टअप इंडिया, एमएसएमई, कुटीर उद्योग के जरिए युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश की जा रही है। युवाओं को इसका लाभ लेना चाहिए। सरकार का समर्थन करने वाले लोगों का ये भी कहना है कि अगर योग्यता होगी तो कोई भी किसी को रोजगार पाने से नहीं रोक सकता है। योगी और मोदी की सरकार में पारदर्शिता बढ़ी है।

जिलेवार जानिए किसने क्या कहा?

शाहजहांपुर में चाय पर चुनावी चर्चा करते हुए आम लोग।

1. गाजियाबाद : चाय पर चर्चा के दौरान व्यापारी सुबोध गुप्ता, नीरज गोयल, संजीव शर्मा, रवि गर्ग सहित कई लोगों ने कहा की गाजियाबाद समेत पूरे प्रदेश में अपराध पर लगाम लगा है। गुंडे और बदमाश काफी डरे हुए हैं। लगभग 80% अपराध के मामलों में गिरावट आई है। मनोह वोहरा ने कहा कि शहर में काफी विकास हुआ है। सड़कें पहले से बेहतर हुई है। संजय यादव ने महंगाई और भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया। कहा कि पहले के मुकाबले महंगाई और भ्रष्टाचार काफी बढ़ गया है। सरकारी विभागों में अफसरशाही शुरू हो गई है। रवि गर्ग ने कहा की महंगाई पर काबू पाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। अच्छा काम हो रहा है।

2. अमरोहा : गजरौला में मेडिकल स्टोर चलाने वाले रजाउद्दीन सैफी ने कहा कि जिले में बेरोजगारी सबसे ज्यादा है। युवा काफी परेशान हैं। शाहीद कहते हैं कि युवा पढ़ाई-लिखाई के बाद बेरोजगार बैठे हैं। वसीम मंसूरी बोले, युवाओं के लिए सरकार ने कुछ नहीं किया। लोगों का रोजगार ठप पड़ा है। डिस्पोजल बेचने वाली अनीता ने कहा कि बच्चे पढ़ लिखकर भी बेरोजगार घूम रहे हैं। सरकार नई भर्तियां नहीं निकाल रही है। ठेला लगाने वाले रिजवान अली बोले कि कोरोना के बाद अभी भी मंदी की स्थिति है। महंगाई काफी बढ़ गई है

3. रामपुर : रेलवे में काम करने वाले यकीन ने कहा पहले के मुकाबले सुरक्षा की व्यवस्था काफी बेहतर हुई है। कानून व्यवस्था से यहां हर कोई खुश है। यहां हिंदू-मुस्लिम मिलकर रहते हैं। सांप्रदायिक सौहार्द काफी बेहतर हुई है। गौरव अग्रवाल ने कहा कि पहले की सरकारों में हिंदू-मुस्लिम दंगे काफी ज्यादा होते थे। अब नहीं होते हैं। लोग आपस में मिलकर रहते हैं। योगी सरकार में भाई-चारे का माहौल बना है। ‘अमर उजाला’ ने ‘चाय पर चर्चा’ के लिए जुटे लोगों से मौजूदा सरकार के कामकाज को लेकर सवाल किया। पूछा, क्या लोग सरकार से खुश हैं? इसपर ज्यादातर लोगों ने हां कहा। लोगों ने कहा कि अभी काफी काम होने बाकी हैं, लेकिन पिछली सरकारों के मुकाबले काफी बेहतर स्थिति हुई है। इसलिए लोग इस सरकार से खुश हैं।

4. बरेली : अनूप ने कहा कि सड़कें बहुत खराब हैं। गड्डों के चलते कई तरह की दुर्घटनाएं हो रहीं है। बेरोजगारी बहुत ज्यादा है। कोई भी नया उद्योग नहीं आया है। इस बार विकास के मुद्दों पर ही युवा वर्ग वोट करेगी। पूरे शहर में जाम की समस्या बहुत ज्यादा है। आर्मी से रिटायर्ड आरडी गुप्ता ने अनूप के दावे को खारिज कर दिया। कहा कि पूरे जिले में काफी विकास हुआ है। सड़कें चौड़ी हुई हैं। मौजूदा सरकार ने काफी काम किया है। इसलिए जिसने विकास किया है उसे ही वोट करेंगे।  व्यापारी विशाल मेहरोत्रा ने कहा कि पूरे जिले में विकास कार्य तेजी से हुए हैं। अभी भी काम जारी है, इसलिए सड़कें थोड़ी अस्त-व्यस्त हो गई हैं।

5. बदायूं : शैलेंद्र मोहन शर्मा ने कहा कि बदायूं में बदलाव की शुरूआत हो चुकी है। आजादी के 70 साल बाद भी यहां 18 गांव अंधेरे में रहते थे। इन गांवों में बिजली व्यवस्था नहीं थी। आज सभी गांवों में भी बिजली व्यवस्था हो गई है। अस्पताल में पहले सिटी स्कैन, बच्चों के लिए कंगारू आईसीयू नहीं था। आज ये सुविधाएं भी हैं। महेश सक्सेना ने कहा कि बदायूं की सड़कें बेहाल है। कूड़े के ढेर हर जगह मिल जाएंगे। गलियों में गड्डे ज्यादा हैं। सचिन मौर्या ने कहा कि यहां सड़कें अभी चुनाव के वक्त बनाई जा रही है। मजदूरी करने वाले इस्लाम ने कहा कि वह योगी सरकार के कामकाज से खुश हैं। कहा कि इस सरकार ने बहुत कुछ काम किया है। पूरे कोरोनाकाल में गरीबों को मुफ्त में राशन दिया। किसानों की स्थिति पहले से बेहतर हुई है। हालांकि, इस्लाम ने अफसरों पर काम में कोताही का आरोप लगाया। कहा कि अफसर सरकारी योजनाओं को आम लेागों तक नहीं पहुंचने दे रहे हैं।

6. पीलीभीत : बीएड कर रही शीतल मौर्या ने सुरक्षा का मुद्दा उठाया। हाल में हुई गैंगरेप की घटना के जरिए असुरक्षा की बात कही। बताया कि एक छात्रा को स्कूल जाते समय किडनैप किया गया और उसका गैंगरेप करके मार डाला गया। हर जगह महिलाएं, बेटियां असुरक्षित हैं। सरकारी स्कूलों की हालत बहुत खराब है। व्यापार मंडल के शैलेंद्र ने कहा कि रेप की घटनाएं पिछले कुछ दिनों में बढ़ी है। माहौल थोड़ा खराब हुआ है। उद्योग व्यापार मंडल के उपाध्यक्ष शैली अग्रवाल ने गैंगरेप की घटना पर दुख जताते हुए कहा कि ऐसी आपराधिक घटनाओं में पहले के मुकाबले काफी कमी आई है। चाय बेचने वाले राकेश कश्यप ने मौजूदा सरकार के कामकाज को लेकर खुशी जाहिर की। कहा कि पहले के मुकाबले शहर में काफी विकास हुआ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बहुत अच्छा काम कर रहे हैं।

7. शाहजहांपुर : सुमित प्रसाद ने कहा कि मौजूदा सरकार ने काफी काम किए हैं। कानून व्यवस्था बेहतर हुई है। आज अपराधियों में पुलिस का खौफ रहता है। अधिवक्ता राकेश मिश्रा और अजय गुप्ता ने सुमित के बयान को खारिज कर दिया। दोनों ने कहा का मौजूदा सरकार में कानून राज के नाम पर जंगलराज कायम है। अजय गुप्ता ने कहा कि कानून व्यवस्था अभी भी कमजोर है। व्यापारी सचिन बाथा ने कानून व्यवस्था पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ की। कहा कि पहले के मुकाबले काफी हद तक क्राइम कंट्रोल हुआ है। पहले व्यापारी खौफ में रहता था। दिन दहाड़े लूट, छिनैती जैसी घटनाएं होती थी। विशाल पांडेय ने कहा कि पहले के मुकाबले काफी बेहतर काम हुआ है। साफ-सफाई जबरदस्त हुई है। सड़कें चौड़ी हुई हैं। चौराहे सुंदर हो रहे हैं। वोट देते समय हमें राष्ट्र की सुरक्षा का भी ख्याल रखना होगा।

8. लखीमपुर खीरी : 74 साल के ईश्वर प्रसाद दुकान चलाते हैं। खुद को भाजपा का समर्थक बताने वाले ईश्वर प्रसाद ने नालियों की समस्या उठाई। कहा, मोहल्ले की नालियां बहुत खराब हैं। पानी बाहर बह रहा है। अक्सर गंदा पानी लोगों के घरों में घुस जाता है। सफाई व्यवस्था नहीं होती है। हालांकि, इसके बावजूद वह भाजपा को ही वोट करते हैं। ईश्वर प्रसाद ने कहा कि सरकार ने बहुत से काम अच्छे भी किए हैं। समाजवादी पार्टी के समर्थक रहमत अली ने कहा कि वह सरकार और विधायकों के कामकाज से संतुष्ट नहीं हैं। पूरे जिले की सड़कें खराब हैं। जीएसटी के चलते कारोबारी परेशान है। अतिक्रमण के चलते सड़कों पर जाम लगता है।

9. सीतापुर : संतोष भार्गव ने बेरोजगारी का मुद्दा उठाया। कहा कि सरकार से युवा नाराज हैं। युवाओं से जो बड़े-बड़े वादे किए गए थे वो झूठे साबित हुए। बड़ी-बड़ी कंपनियों में जो लोग काम कर रहे थे, वो भी अब घर में बैठे हैं। कंपनियां बंद होते जा रही हैं। हालात बेहद खराब है।
इसका जवाब दीपेंद्र भदौरिया ने दिया। कहा स्किल्ड और टैलेंटेड युवाओं के लिए रोजगार की कहीं कमी नहीं है। ये भी सही है कि हर किसी को सरकारी नौकरी नहीं दी जा सकती है। लेकिन सरकार लघु उद्योग, कुटीर उद्योग, स्टार्टअप इंडिया के जरिए युवाओं को स्वरोजगार शुरू करवा रही है। छोटे-छोटे कुटीर उद्योग शुरू करवाए गए हैं। सीतापुर में ही 500 से ज्यादा लोगों को लोन दिया गया है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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