November 21, 2025

उत्तराखंड चुनाव 2022: भाजपा में बागियों को मनाकर हो पाएगा डैमेज कंट्रोल! सांसदों की अगुवाई में बनी टीम

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उत्तराखंड चुनाव 2022: भाजपा में बागियों को मनाकर हो पाएगा डैमेज कंट्रोल! सांसदों की अगुवाई में बनी टीम 

टिकट वितरण के बाद संभावित बगावत को कम से कम करने के लिए भाजपा ने अपने सभी सात सांसदों की अगुवाई में टीमें बनाने का फैसला लिया। ये टीमें टिकटों के ऐलान से पहले ही सक्रिय हो जाएंगी। पार्टी सूत्रों ने बताया कि कई सिटिंग विधायकों के साथ कई दावेदारों की मुराद पूरी न होने पर वे बागवती तेवर अपना सकते हैं। यदि वे चुनाव लड़ते हैं और तीन-चार हजार वोट लेकर अधिकृत प्रत्याशियों को नुकसान पहुंचाते हैं तो इससे राह मुश्किल होगी।

सूत्रों ने बताया कि सबसे पहले सांसद व उनकी अगुवाई में बनी टीमें ऐसे नेताओं से समन्वय बनाएगी। इसके साथ ही प्रदेश नेतृत्व को यह भी बताएंगे कि किन-किन नेताओं के समझाने से संबंधित बगावती नेता के सुर ढीलें पड़ सकते हैं। पार्टी के एक पदाधिकारी ने बताया कि ऐसे कई सीटों के प्रत्याशियों का ऐलान दूसरे चरण में होगा, ताकि डैमेज कंट्रोल को कम से किया जा सके।

सरकार बनानी है तो टिकट तो काटने ही पड़ेंगे: सूत्रों ने बताया कि कोर कमेटी बैठक में एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अगर प्रदेश में सरकार बनानी है तो कई टिकट तो काटने पड़ेंगे। कहा कि कुछ विधायकों की अपने क्षेत्रों में स्थिति अच्छी नहीं है। दोबारा ऐसे लोगों को टिकट मिलने पर पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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भाजपा को डेमैज कंट्रोल का भरोसा 
सत्ता विरोधी रुझान को खत्म करने के लिए भाजपा उत्तराखंड में अपने कई मौजूदा विधायकों के टिकट काटने की तैयारी कर रही है। हालांकि इसके बावजूद पार्टी उत्तराखंड में यूपी जैसे पालाबदल न होने को लेकर निश्चित नजर आती है। भाजपा के आंतरिक सर्वे और पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के आधार पर पार्टी के कई मौजूदा विधायकों के टिकट खतरे में पड़ गए हैं। इन विधायकों को पार्टी के भीतर से ही कड़ी चुनौती भी मिल रही है।

सूत्रों के मुताबिक ऐसे विधायकों की सँख्या बीस तक पहुंच सकती है। छटनी की जद में आने वाले विधायकों को भी इसकी भनक लग चुकी है। इस कारण ऐसे विधायक अब एकजुट होकर प्रमुख नेताओं से मिल रहे हैं। हालांकि पार्टी पर विधायकों की इस लामबंदी से खास फ़र्क पड़ता नजर नहीं आ रहा है। पार्टी नेतृत्व टिकट कटने के बावजूद इनमें से ज्यादातर के पार्टी में ही बने रहने को लेकर आश्वस्त है। इसकी एक अहम वजह यूपी के विपरीत यहां सियासी विकल्प सीमित होने में हैं।

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